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अखबार तो आप पढ़ते ही होंगे, लेकिन इसका इतिहास जानते हैं क्या?

सुनहरी सुबह हो और हाथों में चाय का कप हो तो आप कौन सी चीज उस वक्त सबसे ज्यादा मिस करेंगे? जाहिर है, आपका जवाब होगा ‘अखबार’. जी हां, भले ही दुनिया 21वीं सदी में बहुत तेजी से बदल रही है, लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जो आज भी बनी हुई है. इन्हीं चीजों में से एक है अखबार. अखबार हमारे बीच अपनी अहमियत को बनाए हुए है. अगर आपके पास अखबार मौजूद है तो पिछले दिन देश और दुनिया में हुई सारी प्रमुख घटनाओं की सटीक जानकारी मिल जाती है. दूसरे शब्दों में कहें तो आप अच्छे से अपडेट हो जाते हैं.

क्या आप अखबार के इतिहास को जानते हैं? बहुत सारे लोग अखबार का इतिहास नहीं जानते! बहुत से लोग ये नहीं जानते कि दुनिया का पहला अखबार कौन सा था? रोज कितने लोग दुनिया में अखबार पढ़ते हैं? भारत में कौन सा अखबार सबसे ज्यादा लोकप्रिय है? अखबार का विकास किस तरह हुआ? आज इस आर्टिकल में आपको इन्हीं सवालों के जवाब हम देने की कोशिश करेंगे.

अखबार का इतिहास

अखबारों को आप इस तरह समझिए कि इस एक चीज ने दुनिया में क्रांति लाने का काम किया. इस एक चीज ने लोगों को जागरूक किया. सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने का ये एक माध्यम बना. अगर अखबार के इतिहास पर नजर डालें तो दुनिया का पहला दैनिक अखबार रोम जो कि इटली में मौजूद है वहां 59 ईस्वी पूर्व यानि करीब 2100 साल पहले जूलियस सीज़र की तरफ से प्रकाशित हुआ था. इस अखबार का नाम था एक्टा डाईएना यानी दिन भर की घटनाएं. जिस वक्त में पहला अखबार छपा उस वक्त छपाई के साधन नहीं थे. ऐसे में इसे हाथ से ही लिखा जाता था. लेकिन धीरे-धीरे प्रिंटिंग प्रेस भी आया तो उसके बाद 1605 में जर्मन अखबार रिलेशन छपने लगा. इसका संपादन जोहान्स कार्लोस किया करते थे.

भारत में कब छपा अखबार?

ये तो बात हुई दुनिया के पहले अखबार की लेकिन अगर भारत में अखबार का इतिहास देखें तो यहां का पहला अखबार अंग्रेजों के शासनकाल में प्रकाशित हुआ. 1780 में तत्कालीन वाइसरॉय जेम्स हिक्की ने कलकत्ता से इसको निकाला था. इस अखबार का नाम था बंगाल गजट. ये अंग्रेज़ी भाषा में होने के कारण ज्यादातर भारतीयों के लिए एक कागज के टुकड़े से अधिक कुछ भी नहीं था. इसके बाद धीरे-धीरे और भी अंग्रेजी अखबार छपने शुरू हुए. जैसे हिंदुस्तान टाइम्स, नेशनल हेराल्ड आदि.

इसी बीच 30 मई 1826 को हिंदी का पहला समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तंड’ प्रकाशित हुआ, जो देखते-ही-देखते भारतवर्ष के दबे कुचले लोगों की जुबान बन गया. इसी प्रकार हिंदी पत्रकारिता का दायरा और प्रभाव दोनों तेज़ी से बढ़ने लगे और क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में फैलने लगी. इसको देख अंग्रेजी हुकूमत परेशान हुई और 1878 यानी हिंदी अखबार छपने के करीबन 60 साल के बाद वर्नाकुलर प्रेस एक्ट थोप दिया गया. लेकिन इस एक्ट का कोई असर यहां नहीं हुआ और धीरे-धीरे यही अखबार अंग्रेजों को देश छोड़ने को मज़बूर कर गया.

अखबार के कई प्रकार

आप अखबार रोज पढ़ते होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके भी अलग-अलग प्रकार हैं. जी हां! अखबार दो तरह के होते हैं. पहला होता है ब्रॉडशीट और दूसरा होता है टैब्लॉयड. ये लंबाई और आकार के आधार पर बांटा जाता है. ब्रॉडशीट चौड़ी होती है और टैब्लॉयड ब्रॉडशीट के मुकाबले लंबाई और आकार में आधी होती है. दोनों में अलग-अलग तरह की खबरें छपती हैं.

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आंकड़ों पर डालिए एक नजर

अगर आंकड़ों की बात करें तो 2.5 बिलियन लोग दुनियाभर में रोज अखबार पढ़ते हैं. ये अपने आप में बहुत बड़ी संख्या है. अगर अमेरिका में अखबार पढ़ने की बात करें तो वॉल स्ट्रीट जर्नल नाम के न्यूज़ पेपर को अमेरिका का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला अखबार माना जाता है. सितंबर 2017 के आंकड़ों के अनुसार इसकी प्रतिदिन 1.18 मिलियन यानी 11 लाख 80 हजार प्रतियां बिक जाती हैं. वहीं द टाइम्स ऑफ इंडिया भारत का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला अंग्रेजी अखबार है. इंडियन रीडरशिप के मुताबिक हर दिन इस अखबार को एक करोड़ 30 लाख लोग पढ़ते हैं.

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वैसे अखबार के बाद अब ई-पेपर भी हमारे बीच उपलब्ध है. जिसकी मदद से हम अखबार की खबरों को मोबाइल, लैपटॉप या टैबलेट में पढ़ सकते हैं. आगे भविष्य में इसकी और भी संभावना तलाशने की कोशिश की जा रही है. हो सकता है आने वाले वक्त में ई-पेपर के बाद आपको कुछ और नया देखने को मिले!