तेजाजी को भगवान शिव का अवतार मानते हुए इनकी पूजा की जाती है. ये राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं. तेजाजी (Veer Tejaji Biography in Hindi) के पूर्वज मध्यभारत के खिलचीपुर में रहते थे. बाद में वे वहां से मारवाड़ आकर बस गए नागवंश के धवलराव (धौलाराव) के नाम पर ही धौल्या गौत्र की शुरुआत हुई. ये खड़नाल गांव के रहने वाले थे.
ग्यारवीं सदी में गायों की डाकुओं से रक्षा करने के लिए तेजाजी ने अपने प्राण दांव पर लगा दिए थे. भारत के जाटों में तेजाजी का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है. सत्यवादी और अपने वचनों पर अटल रहने वाले तेजाजी आत्म बलिदान और सदाचारी जीवन से अमरत्व प्राप्त किये थे. धार्मिक प्रवृत्ति के इस व्यक्ति ने अपने विचारों से साधारण लोगों को सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते रहे और जनसेवा करते रहे.
इन्होंने जात-पात की बुराइयों पर रोक लगाते हुए शुद्रों को मंदिरों में प्रवेश दिलाया. पुरोहितों के आडंबर का विरोध करने वाले तेजाजी के मंदिरों में निम्न वर्ग के लोग ही पुजारी का काम करते हैं. साधारण लोगों के हृदय में सनातन धर्म के प्रति लुप्त हो रहे विश्वासों को उन्होंने फिर से जागृत किया.
इस तरह उन्होंने अपने सद्कर्मों व प्रवचनों से लोगों में नवचेतना जगा कर उनमें जात-पात की आस्था को कम किया. पूरी दुनिया में एकमात्र तेजाजी ऐसे व्यक्ति हैं जिनके जीवन में आप कर्म, भक्ति, शक्ति व वैराग्य को एक साथ देख सकते हैं.
जन्म – Veer Tejaji Biography in Hindi
विवाह – Veer Tejaji Biography in Hindi
इनकी शादी बचपन में ही हो चुकी थी लेकिन इन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी. बहुत सालों बाद इन्हें अपने विवाहित होने का पता चला. एक दिन तेजाजी खेत में हल चलाने गए थे और उनकी भाभी उस दिन खाना लेकर थोड़ा देर पहुंची.
तेजाजी ने भाभी से पूछा कि कैसे इतनी देर हो गई, तो भाभी ने कहा कि तुम्हारी पत्नी तो पीहर में मौज कर रही है और मैं यहां काम कर करके पिसती जा रही हूं. यह सुनकर तेजाजी को बुरा लगा और वे ससुराल का पता पूछकर घोड़ी पर सवार होकर ससुराल के लिए निकल पड़े.
जब वे ससुराल पहुंचे तो वहां उनकी सास गायों से दूध निकाल रही थी. लेकिन इनके घोड़े के खुर की आवाज से दूध देती गाय बिदक गई। इस पर उनकी सास को गुस्सा आया और उन्होंने बोला- कि नाग रो झातियोड़ो ओ कुण है? जणी गायां ने भिड्का दी. तेजाजी को यह बात सुनकर बुरा लगा और वे तुरंत वहां से लौट गए। ससुराल वालों को इसकी खबर लगने पर उन्हें रोकने की बहुत कोशिश हुई लेकिन वे नहीं माने. पत्नी ने किसी तरह एक रात ठहरने को राजी किया लेकिन वे ससुराल में नहीं बल्कि लाछा नामक एक पुजारी के घर रुके. लेकिन रात को चोरों ने लाछा गुजरी की गायों को घेर ले गए.
भारत में तेजाजी का मंदिर – Veer Tejaji Biography in Hindi
समाज सुधारक के रूप में – Veer Tejaji Biography in Hindi
कुंवर तेजपाल के बड़े होने पर उनके चेहरे की आभा चमकनी शुरू हो गई. राज-काज से दूर वे हमेशा गौसेवा में लीन रहते थे. कृषकों को उन्होंने खेती की नई विधियां बताई. पहले बीजों को उछाल कर खेत जोता जाता था, उन बीजों को इन्होंने जमीन में हल द्वारा ऊर कर बोने की विधि बताई. इन्होंने ही फसल को कतार में बोना सिखाया, तभी को इन्हें कृषि वैज्ञानिक भी कहा जाता है.
इनकी विशेष रुचि गौसेवा और खेतों में हल जोतने में थी. ग्यारवीं सदी में तेजाजी ने डाकुओं से गायों की रक्षा करने के लिए ग्यारवीं सदी में कई बार अपनी जान दांव पर लगा दी थी. जनसाधारण के लिए भी उन्होंने कई बार अपना जीवन और परिवार को खतरे में डाला था.
प्रचलित कथा और मृत्यु – Veer Tejaji Biography in Hindi
तेजाजी बचपन से ही साहसिक कारनामों में माहिर थे. छोटी उम्र से ही लोग इनके कारनामों को देखकर आश्चर्यचकित रहते थे. एक बार तेजाजी अपने दोस्तों के साथ बहन पेमल को लेने उसके ससुराल गए थे. बहन के यहां पहुंचते ही उन्हें पता चला कि मेणा नामक डाकू पेमल के ससुराल की सारी गायों को लूट कर ले गया.
अब ये अपने साथियों के साथ जंगल में मेणा डाकू के पास बहन की गायों को छुड़वाने गए. इसी दौरान रास्ते में भाषक नामक एक सांप घोड़े के सामने आकर तेजा को डंसना चाहता है. तेजा तभी सांप को यह वचन देता है कि मैं अपनी बहन की गाएं छुड़ाने के बाद फिर यहीं लौटूंगा, तब तुम मुझे डस लेना.
डाकू से अपनी बहन की गाएं छुड़ाने के बाद वे लहुलुहान हालत में उस नाग के पासे आते हैं. तेजा की स्थिति देखकर नाग कहता है कि तुम्हारा तो पूरा शरीर कटा हुआ है, अब मैं दंश कहां मारूं. यह सुनते ही तेजा उसे अपनी जीभ पर दंश मारने को कहते हैं. लेकिन इनकी वचनबद्धता को देखकर नाग उन्हें आर्शीवाद देता है.
आर्शीवाद देकर नाग कहता है कि ‘आज के दिन (भाद्रपद शुक्ल दशमी) से पृथ्वी पर अगर किसी प्राणी को सर्प दंश करता है तो उसे तुम्हारे नाम की तांती बांधने पर जहर का कोई असर नहीं होगा.‘ इतना बोलने के बाद नाग तेजाजी की जीभ पर दंश मारता है और उनकी मौत हो जाती है.
उसी दिन से भाद्रपद शुक्ल दशमी के दिन तेजाजी के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी और सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति वहां जाकर तांती खोलते हैं. इस दिन तेजादशमी का पर्व मनाया जाता है. यह त्योहार मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के मालवा, झाबुआ, निमाड़ और राजस्थान में मनाया जाता है. इस विशेष मौके पर तेजाजी के मंदिरों में मेला लगता है. यहां सर्पदंश समेत अन्य जहरीले कीड़ों की तांती छोड़ी जाती है.