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ऊर्जा से भर देते हैं कबीर के उपदेश – Kabir Das Biography in Hindi

संत कबीर दास हिंदी साहित्य के विद्वान तो थे ही, वे भारत के महान कवि व समाज सुधारक भी थे. देश में कभी भी धर्म, संस्कृति और भाषा की चर्चा हो और कबीर दास के बिना वो पूरी नहीं हो सकती. इसकी वजह है कि इनके दोहों में भारतीय संस्कृति, समाज में फैली कुरीतियों को दूर कर भेदभाव मिटाने का प्रयास बखूबी देखने को मिलता है. कबीर (Kabir Das Biography in Hindi) पंथी लोग इनके उपदेश व सिद्धांतों को ही जीवन का आधार मानते हैं.

संत कबीर के उपदेश से समस्त मानव जाति को सत्य की राह पर चलने की प्रेरणा मिलती है. इनके उपदेशों से व्यक्ति के अंदर नई ऊर्जा का संचार होता है. इन उपदेशों के माध्यम से ही उन्होंने समाज में फैली बुराइयों का विरोध करते हुए एक आदर्श समाज की स्थापना पर बल दिया.

जन्म को लेकर सही साक्ष्य नहीं – Kabir Das Biography in Hindi

भारत के महानतम कवियों में से एक कबीर दास के जन्म के बारे में सही जानकारी नहीं है. जैसे कुछ लोगों का मत है कि उनका जन्म 1398 में काशी में हुआ था. वहीं कुछ लोग कबीर का जन्म 1440 में हुआ बताते हैं. उनके माता-पिता के बारे में भी सबकी राय अलग-अलग है. कुछ लोग कहते हैं कि कबीर का जन्म एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ था. कहा जाता है, स्वामी रामानंद ने उस विधवा ब्राह्मणी को भूलवश पुत्रवती होने का आशीर्वाद दे दिया था. लोकलाज के भय से ब्राह्मणी ने उस नवजात शिशु को काशी में लहरतारा ताल के पास फेंक दिया था. जिसके बाद उनकी परवरिश एक गरीब मुस्लिम बुनकर परिवार में हुआ था और उनके माता-पिता का नाम “निरु” और “नीमा” था. जबकि कबीर पंथियों का मानना इनका जन्म काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल के ऊपर हुआ था.

कबीर दास की खूबियां – Kabir Das Biography in Hindi

1. संत कबीर दास कई भाषाओं के ज्ञाता थे. साधु-संतों के साथ विभिन्न स्थानों का भ्रमण करते हुए ही उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान प्राप्त हो गया था. अपने विचार और अनुभव को जाहिर करने के लिए वे हमेशा स्थानीय भाषा का ही व्यवहार करते थे. इनकी भाषा को सधुक्कड़ी भी कहते हैं.

2. कबीर सत्य बोलने वाले व निडर व्यक्ति थे. कटू सत्य कहते हुए वे बिल्कुल नहीं हिचकिचाते थे. उनकी एक खासियत ये भी रही कि वे निंदा करने वालों को अपना मित्र मानते थे.

3. कबीर दास स्थानीय भाषा में ही उपदेश देते और लोगों को समझते थे. समझाते वक्त वे लोगों को जगह-जगह का उदहारण भी देते रहते, ताकि बात उनके अंतर्मन तक पहुंच सके.

4. कबीर की नजर में भगवान से ऊपर गुरु का स्थान है. कबीर ने गुरु के स्थान को कुम्हार का उदाहरण देते हुए समझाया है. जिसमें उन्होंने गुरु के बारे में कहा है कि जो मिट्टी के बर्तन के समान अपने शिष्य को ठोक-पीटकर सुघड़ पात्र में बदल देता है.

5. कबीर वाणी तीन रूपों में लिखा गया है, साखी, सबद और रमैनी. यह बीजक नाम से जाना जाता है. कबीर की रचनाओं का संग्रह आप कबीर ग्रंथावली में भी देख सकते हैं.

कर्मकाण्ड के विरोधी – Kabir Das Biography in Hindi

संत कबीर झूठा दिखावा और पाखंड के विरोधी थे. इसलिए वे मौलवियों और पंडितों के कर्मकांड पसंद नहीं करते थे. यहां तक कि कबीर मंदिर, मस्जिद, अवतार, मूर्ति पूजा, रोजा, ईद, मस्जिदों में नमाज पढ़ने, मंदिरों में माला जपने, तिलक लगाने व उपवास रखने के भी विरोधी थे. इन्हे सादगीपूर्ण जीवन जीना और सादा भोजन करना पसंद था. बनावट की दुनिया से दूर रहने वाले कबीर अपने आस-पास के समाज को भी आडंबर मुक्त करना चाहते थे.
मगहर में ली अंतिम सांस – Kabir Das Biography in Hindi
इस महान कवि का पूरा जीवन काशी में बीता लेकिन मरने के वक्त वे मगहर चले गए थे. उस समय लोगों की धारणा थी कि मगहर में मरने वाले को नरक मिलता है जबकि काशी में मरने वाले को स्वर्ग की प्राप्ति होती है. लोगों की इस धारणा को तोड़ने के लिए ही अपने अंतिम समय में वे मगहर चले गए थे. यहीं 1518 में उनकी मृत्यु हो गई थी. कहावत यह भी है कि कबीर के शत्रुओं ने ही उनको मगहर जाने के लिए मजबूर कर दिया था.