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महात्मा गांधी की जीवनी – Mahatma Gandhi Biography in Hindi

जिस आजाद हवा में आज हम सांस लेते हैं, घूमते-फिरते हैं, एक दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं, त्योहार मनाते हैं, अच्छी जिंदगी जीते हैं…इन सबके पीछे बहुत लोगों का संघर्ष है. याद कीजिए 1947 से पहले का वक्त, वो वक्त जब देश आजाद नहीं हुआ था. ये यादें बहुत कड़वी हैं, क्योंकि उस वक्त हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी करता था. अंग्रेज हमसे जैसा कहते हमें वैसा ही करना पड़ता था. लेकिन उस दौर में भी कुछ लोग ऐसे हुए जिन्होंने इस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने की ठानी, अंग्रेजों को सबक सिखाने की ठानी. अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए मोहनदास करमचंद गांधी (Mahatma Gandhi Biography in Hindi) ने अहम योगदान दिया और आजादी के आंदोलन का नेतृत्व किया.

महात्मा गांधी ने नमक आंदोलन चलाया, असहयोग आंदोलन चलाया, लोगों को स्वदेशी का महत्व समझाया। लेकिन सवाल ये है कि आखिर महात्मा गांधी का जीवन कैसा था, उन्होंने कैसे-कैसे खुद को आगे बढ़ाया, उनके जीवन का संघर्ष कैसा था? आइए इन्हीं सवालों के जवाब इस आर्टिकल के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं!

ऐसा था ‘बापू’ का बचपन – Mahatma Gandhi Biography in Hindi

2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक अमीर खानदान में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी. इनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर रियासत के राजा के दरबार में दीवान हुआ करते थे, वहीं इनकी मां पुतली बाई एक धार्मिक महिला थीं. जिनका यकीन पूजा-पाठ में अधिक था, ये उपवास भी रखती थीं. वो मां ही थीं जिन्होंने बापू को हिंदु परपंराओं का पाठ पढ़ाया और यही बात इनके जीवन में सदा के लिए रह गई. इनका परिवार बाद में पोरबंदर से राजकोट आ गया. यहीं मोहनदास को अंग्रेजी शिक्षा दी गई.

आरम्भ में उनमें कई कमियां रहीं – Mahatma Gandhi Biography in Hindi

मोहनदास की शादी 13 साल की उम्र में ही कस्तूरबा गांधी से हो गई. 13 साल वो उम्र होती है जिसमें ज्यादातर लोग पढ़ाई-लिखाई करते हैं, लेकिन गांधी जी के पिता ने शादी करवाई थी, लिहाजा इसे मानने के अलावा कोई गांधी जी के पास कोई विकल्प नहीं था. हैरानी की बात ये है कि शादी के वक्त गांधी जी की पत्नी कस्तूरबा उनसे 1 साल बड़ी थीं. गांधी जी ने अपनी नौजवानी की उम्र में बगावती तेवर भी दिखाए. अपने परिवार की परंपरा के खिलाफ जाते हुए उन्होंने चोरी, शराब का सेवन, मांस खाने जैसे काम करना शुरू करने शुरू कर दिए. हालांकि उनको सुधार लाने की चाहत भी थी. गांधी जी की आदत थी कि वो जो भी गलत काम करते थे उसके बाद उसका प्रायश्चित भी करते थे.

हैरान करने वाली घटना – Mahatma Gandhi Biography in Hindi

एक किस्सा गांधी जी के बारे में बहुत मशहूर है. बताया जाता है कि जब गांधी जी के पिता मृत्यु शैया पर थे, उस वक्त अपने पिता को देखने की बजाए गांधी जी अपनी पत्नी के पास चले गए. उनके पिता चल बसे, इस घटना से उसको काफी आघात पहुंचा. गांधी जी के बेटे का भी निधन हुआ और इस निधन को उन्होंने ईश्वर का दंड समझा. अपने पिता के निधन के बारे में वो कहते हैं कि जब उनका निधन हुआ तो उनको उनके पिता के पास होना चाहिए था, लेकिन अभागेपने में वो ऐसा नहीं कर पाए. इस बात का उन्हें काफी पछतावा है. वो मुंबई में पढ़ रहे थे लेकिन इसी दौरान उन्हें लंदन में कानून की पढ़ाई करने का ऑफर आया और उन्होंने परिवार के खिलाफ जाकर यहां जाने का फैसला लिया. यहां वो शाकाहारी आंदोलन से जुड़े.

अफ्रीका में भारतीयों के लिए लड़ी लड़ाई – Mahatma Gandhi Biography in Hindi

कानून की पढ़ाई करने के बाद वो भारत लौटे और वकालत करने लगे. बहुत कम लोगों को पता होगा कि गांधी जी अपना पहला मुकदमा हार चुके हैं. वो इसके बाद दक्षिण अफ्रीका गए. यहां उनके साथ सौतेला व्यवहार किया गया. उन्होंने तंग आकर भारतीयों के हक में अफ्रीका में लड़ाई लड़ना शुरू किया. गांधी जी ने सत्याग्रह सिद्धांत का प्रयोग भी यहीं शुरू किया. वो धोती पहनने लगे. 1913 में वो टैक्स के खिलाफ आंदोलन चलाने लगे, इसे आखिरी सविनय अवज्ञा का नाम दिया गया. उन्होंने हड़ताल की, लोगों का सहयोग गांधी जी को मिला और आखिकार जीत बापू की हुई.

आजादी का वक्त और गांधी – Mahatma Gandhi Biography in Hindi

अफ्रीका के आंदोलन में कामयाब होने के बाद वो भारत लौटे और गरीबी का अध्यनन किया और फिर वो रॉलैक्ट एक्ट का विरोध करने लगे. इस एक्ट के विरोध में भी गांधी जी को लोगों का साथ मिला. लोग सड़कों पर उतरने लगे. इसी बीच अमृतसर में जनरल डायर ने 20 हजार लोगों की भीड़ पर गोलियां चलवा दी. इसमें 400 लोग मारे गए और हजारों लोग जख्मी हुए. ये घटना चिंगारी थी हिंदुस्तान में आजादी के आंदोलन की. गांधी जी ने धार्मिक सहिष्णुता और सभी धर्मों को आज़ादी के आधार पर भारत के लिए आजादी की मांग कर दी. यहां भी उन्हें लोगों का साथ मिला.

असहयोग नाम के इस आंदोलन में गांधी जी को गिरफ्तारी भी देनी पड़ी. अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन भी इन्होंने छेड़ा और फिर भारत में हिंसा का दौर शुरू हुआ. बंटवारे की वजह से बड़े पैमाने पर हत्याएं और ख़ून-ख़राबा हुआ. करीब एक करोड़ लोगों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा, दुखी होकर गांधी दिल्ली शहर छोड़ कर कलकत्ता रवाना हो गए, ताकि हिंसा को रोक कर वहां शांति स्थापित कर सकें. गांधी जी ने भारत की आजादी में भरपूर सहयोग किया. 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या नाथूराम गोडसे ने कर दी, जब वो एक प्रार्थना सभा में थे. वे हमें हमेशा के लिए छोड़कर चले गए.