You are currently viewing कृष्णा सोबती का जीवन परिचय – Krishna Sobti Biography in Hindi

कृष्णा सोबती का जीवन परिचय – Krishna Sobti Biography in Hindi

कृष्णा सोबती ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिंदी की मशहूर लेखिका थीं. यह मुख्य रूप से कहानी लेखिका थीं. कृष्णा जी की तमाम कहानियां ‘बादलों के घेरे’ नामक संग्रह में संकलित हैं. वह आज भी अपनी संयमित अभिव्यक्ति और सुथरी रचनात्मकता के लिए जानी जाती हैं. कृष्णा सोबती (Krishna Sobti Biography in Hindi) ने ही हिंदी की कथा भाषा को विलक्षण ताजगी दी है.

कृष्णा सोबती ने अपनी रचनाओं के माध्यम से महिलाओं पर होने वाले विभिन्न तरह के अत्याचारों को उजागर किया है. उनकी विभिन्न समस्याओं के साथ-साथ उनके साथ होने वाली सामाजिक अश्लीललता का भी इन्होंने वर्णन किया है. इनकी तमाम रचनाओं में होने वाली नैतिक और सामाजिक बहसें पाठकों के दिलों पर छा जाने वाली है.

जन्म – Krishna Sobti Biography in Hindi

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिंदी की सुप्रसिद्ध लेखिका कृष्णा सोबती का जन्म पाकिस्तान के गुजरात प्रांत में 18 फरवरी 1925 को हुआ था. इंडिया और पाकिस्तान विभाजन के बाद इनका पूरा परिवार दिल्ली आकर बस गया. अपनी साहित्य सेवा की शुरुआत इन्होंने दिल्ली से ही की.

शिक्षा – Krishna Sobti Biography in Hindi

कृष्णा की जी प्राथमिक शिक्षा गुजरात में हुई थी. उन्होंने माध्यमिक, उच्चमाध्यमिक की पढ़ाई लाहौर, शिमला और दिल्ली से पूरी की. लाहौर स्थित फतेहचंद कॉलेज से उच्च माध्यमिक की पढ़ाई पूरी हुई. इस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वह वहीं लड़कियों के हॉस्टल में रहती थीं. भारत-पाक विभाजन के वक्त वह फतेहचंद कॉलेज की छात्रा थीं. उच्च माध्यमिक के बाद की पढ़ाई उन्होंने शिमला में दिल्ली में किया. विभाजन के बाद उन्हें पढ़ाई छोड़ कर नौकरी करनी पड़ी.

कार्यक्षेत्र – Krishna Sobti Biography in Hindi

कृष्णा सोबती के कहानी संग्रहों जैसे ‘डार से बिछुड़ी’, ‘बादलों के घेरे’, ‘तीन पहाड़’ व ‘मित्रों मरजानी’ में इन्होंने नारी को अश्लीलता की कुंठित राष्ट्र को अभिभूत कर सकने में सक्षम अपसंस्कृति को इतने बेहतर तरीके से उभारा है कि इससे साधारण पाठक हतप्रभ हो जाता है.

इनका ‘सिक्का बदल गया’, ‘बदली बरस गई’ जैसी कहानियां भी काफी प्रसिद्ध है. इनके उपन्यास ‘डार से बिछुड़ी’ और ‘मित्रों मरजानी’ को नामवर सिंह ने उल्लेख मात्र किया है. नामवर सिंह ने सोबती को उन उपन्यासकारों की पंक्ति में गिनाया, जिनकी रचनाओं में कहीं वैयक्तिक और कहीं सामाजिक-पारिवारिक विषमताओं का विरोध मिलता है.

हालांकि कुछ समीक्षक ऐसे भी हैं जिन्होंने इनके ‘जिंदगीनामा’ की खूब प्रशंसा भी की है. डॉ देवराज उपाध्याय ने कहा था कि किसी व्यक्ति को अगर पंजाब प्रदेश की संस्कृति हो या रहन-सहन, रीति-रिवाज आदि की जानकारी प्राप्त करनी हो या फिर वहां के इतिहास की जानकारी लेनी हो, वहां की दंत कथाओं, प्रचलित लोकोक्तियों के अलावा 18वीं व 19वीं शताब्दी की प्रवृतियों से अवगत होना हो तो जिंदगीनामा’ से अलग जाने की कोई आवश्यकता नहीं है.

पाठकों में प्रसिद्धि – Krishna Sobti Biography in Hindi

कृष्णा सोबती की लंबी कहानी ‘मित्रों मरजानी’ का प्रकाशन होते ही उन पर हिंदी कथा-साहित्य के पाठक फिदा हो गए थे. इसका कारण था कि कृष्णा जी की महिलाएं ऐसी थीं जो कस्बों और शहरों में दिख तो रही थी लेकिन उनका नाम लेने से लोग डरते थे. सोबती जी का कथा साहित्य उन्हें इस भय से मुक्त कर रहा था.

सच्चाई भी यही है कि कथाकार अपने विषय और उससे बर्ताव में ना सिर्फ अपने आप को मुक्त करता है, बल्कि वह पाठकों की मुक्ति का भी कारण बनता है. कभी हिंदी विभाग में पढ़ाई नहीं करने वाले पाठक भी उन्हें पढ़कर अपने आस-पास हो रहे बदलावों को समझना चाहता था. मन में बस रही एक समानांतर दुनिया से मुक्ति के लिए कृष्णा जी की कहानियां मन में बैठ जाती थी.

सम्मान और पुरस्कार – Krishna Sobti Biography in Hindi

1. वर्ष 1980 में उन्हें ‘जिंदगीनामा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

2. वहीं वर्ष 1996 में कृष्णा जी साहित्य अकादमी की फेलो बनाई गई थीं, जो कि अकादमी का सर्वोच्च सम्मान है.

3. साल 1981 में उन्हें शिरोमणी पुरस्कार मिला.

4. वहीं 1982 में कृष्णा सोबती को हिंदी अकादमी पुरस्कार मिला.

5. इन्होंने यूपीए सरकार में पद्मभूषण लेने से इंकार कर दिया था.

6. जबकि साल 2015 में असहिष्णुता के मुद्दे साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस कर दिया था.

7. साल 2017 में इन्हें भारतीय साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था.

प्रमुख रचनाएं – Krishna Sobti Biography in Hindi

उपन्यास:

1. डार से बिछुड़ी

2. यारों के यार

3. तीन पहाड़

4. मित्रो मरजानी

5. सूरजमुखी अंधेरे के

6. ऐ लड़की

7. समय सरगम

8. सोबती एक सोहबत

9. जिंदगीनामा

10. जैनी मेहरबान सिंह

कहानी संग्रह:

1. बादलों के घेरे

स्त्री मन – Krishna Sobti Biography in Hindi

भारतीय कथा साहित्य में असमिया की इंदिरा गोस्वामी और कृष्णा सोबती का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है. इन दोनों का नाम स्त्री मन की गांठ खोलने वाले स्त्री कथाकारों के साथ लिया जाता है. इंदिरा गोस्वामी ने एक बार अपने इंटरव्यू में कहा भी था कि मैं अपने जीवन के प्राथमिक अनुभवों से लिखने का प्रयास करती हूं.

मैं सिर्फ इतना करती हूं कि उन्हें अपनी कल्पनाओं के सांचे में ढ़ालती हूं. इंदिरा गोस्वामी से करीब 18 वर्ष पहले गुलाम भारत में जन्मीं कृष्णा सोबती के पास पंजाब, शिमला के साथ दिल्ली की हजीरों हजार महिलाओं के साझा और व्यक्तिगत अनुभव हैं. इस अनुभव की वजह से ही वह सबसे खास हैं.

नारी की मुक्ति की छटपटाहट एवं घर की चहारदीवारी से बाहर जाने की हसरतें कृष्णा जी के कथा साहित्य में ऐसे ही नहीं आती है, बल्कि उन्होंने उसे एक पारदर्शी भाषा द्वारा महिलाओं की कल्पना के सांचे में ढ़ाला है. कृष्णा जी हिंदी साहित्य सागर का ऐसा मोती हैं जिसकी चमक हमेशा बरकरार रहेगी.

सोबती जी के कथा साहित्य में प्रेम, वासना, उबाऊ जीवन, वात्सल्य, समाज व व्यक्ति के आपसी संबंध, जीवन की घुटन जैसी सच्चाइयों को स्थान दिया गया है. लेकिन उनकी समकालीन लेखिकाओं में ऐसा लिखने का साहस नहीं हो पाया.

विवाद – Krishna Sobti Biography in Hindi
कृष्णा सोबती की कहानियों को लेकर कई सारे विवाद भी हुए. एक स्त्री होकर इस तरह का साहसी लेखन करना अपने आप में बड़ी बात है और यह हर लेखिकाओं के लिए संभव भी नहीं है. डॉ. रामप्रसाद मिश्र के शब्दों में: उनके जिंदगीनामा जैसे उपन्यास और मित्रो मरजानी जैसे कहानी संग्रहों में मुख्य रूप से मांसलता को उभार दिया गया है.
मृत्यु – Krishna Sobti Biography in Hindi
कृष्णा सोबती जी का निधन 25 जनवरी 2019 को हुआ था. एक लंबी बीमारी के बाद सुबह साढ़े आठ बजे उन्होंने एक निजी अस्पताल में दम तोड़ा.