छायावादी युग के स्तंभ हैं सुमित्रानंदन पंत – Sumitranandan Pant Biography In Hindi

सुमित्रानंदन पंत छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक थे. साहित्य में योगदान के लिए उन्हें पद्मभूषण और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. बहुत छोटी उम्र से ही पंत जी ने कविता लिखना शुरू कर दिया था. महज 7 वर्ष की उम्र में चौथी कक्षा में पढ़ते हुए ही उन्होंने पहली कविता लिखी थी. इनकी प्रमुख रचनाएं उच्छवास, पल्लव, मेघनाद वध व बूढ़ा चांद आदि हैं. इनका (Sumitranandan Pant Biography In Hindi) जन्म 20 मई 1900 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक ग्राम में हुआ था. इन्हे माँ का सुख प्राप्त नहीं हुआ. क्योंकि जन्म लेने के छह घंटे बाद ही इनकी माँ का निधन हो गया था. जिसके बाद वे दादी के साथ रहते थे. वर्ष 1917 में सुमित्रानंदन भाई के साथ काशी के क्वींस कॉलेज में पढ़ने चले गए और वहीं से माध्यमिक तक की शिक्षा हासिल की.

गोसाई दत्त से सुमित्रानंदन पंत का संबंध – Sumitranandan Pant Biography In Hindi

पंत जी का असली नाम गोसाई दत्त पंत था और इस गोसाई नाम में वे गोस्वामी तुलसीदास की छवि देखते थे. इनका मानना था कि तुलसीदास का जन्म अभाव में हुआ था, जिस कारण उनका जीवन संघर्षमय रहा. गोसाई नाम रहने पर कहीं उनके जीवन में भी तुलसीदास की तरह परेशानी ना आ जाये इसलिए ही इन्होंने अपना बदलकर सुमित्रानंदन पंत कर लिया.

सुमित्रानंदन पंत की रचनाएं – Sumitranandan Pant Biography In Hindi

साल 1918 के निकट उनकी पहचान हिंदी की नवीन धारा के प्रवर्तक के रूप में बनी थी. सुमित्रा जी के जीवनकाल में उनकी 28 पुस्तकें प्रकाशित हुई थी. इन पुस्तकों में कविताएं, पद्य-नाटक और निबंध भी शामिल हैं. इनका पहला काव्य संकलन ‘पल्लव’ वर्ष 1926-27 में प्रकाशित हुआ था. जिसमें पंत जी की सबसे कलात्मक कविताएं थी. पल्लव में 32 कविताओं का संग्रह है. उनकी प्रसिद्ध कविता ‘परिवर्तन’ इसी संग्रह में सम्मिलित है. जबकि उनकी प्रतिनिधि कविताओं का संकलन ‘तारापथ’ है. कुछ साल बाद ही पंत जी अपने भाई देवी दत्त के साथ अल्मोड़ा लौट आये थे. यहां आने के बाद ही वे कार्ल मार्क्स और फ्रायड की विचारधारा से प्रभावित हो गए थे. वर्ष 1938 में इनकी ‘रूपाभ’ नामक मासिक पत्र निकली. सुमित्रानंदन पंत जी के जीवनकाल में उनकी 28 किताबें प्रकाशित हुई थी. इस पुस्तक में नाटक, कविता और निबंध भी थे.

स्वतंत्रता संग्राम से हुए थे प्रभावित – Sumitranandan Pant Biography In Hindi

साल 1921 के असहयोग आंदोलन का समय पंत जी ने कॉलेज छोड़ दिया था. लेकिन 1930 के नमक सत्याग्रह के समय उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन की गंभीरता को समझा था.

पंत की विचारधारा – Sumitranandan Pant Biography In Hindi
सत्यम् शिवम् सुंदरम् के आदर्शों से प्रभावित उनके साहित्य में समय के साथ-साथ परिवर्तन भी होता रहा है. शुरुआत के दिनों की इनकी कविताओं में प्रकृति और सौंदर्य के सुन्दर वर्णन देखने को मिलते हैं. दूसरे चरण में छायावाद की सूक्ष्म कल्पना व कोमल भावना दिखती है. वहीं अंतिम चरण में प्रगतिवाद और विचारशीलता के दर्शन होते हैं. इन्होंने अपनी कविताओं में पूर्व मान्यताओं को भी स्वीकार किया है.
प्रमुख कृतियां – Sumitranandan Pant Biography In Hindi

सुमित्रानंदन पंत एक प्रकृति प्रेमी थे और प्रकृति पर वे बचपन से ही एक से बढ़कर एक सुन्दर रचनाएं लिखा करते थे. वर्ष 1918 तक पंत जी हिंदी की नवीन धारा के प्रवर्तक के रूप में पहचाने जाने लगे. पंत जी की प्रमुख कृतियां उच्छ्वास, पल्लव, वीणा, ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, युगांतर, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, सत्यकाम, मुक्ति यज्ञ, तारापथ, मानसी, युगवाणी, उत्तरा, रजतशिखर, शिल्पी, सौवर्ण, अतिमा, युगपथ, पतझड़, अवगुंठित, ज्योत्सना, मेघनाद वध है. जबकि इनका खादी के फूल हरिवंशराय बच्चन के साथ संयुक्त संग्रह है.

संग्रहालय में सुरक्षित स्मृतियां – Sumitranandan Pant Biography In Hindi
इनका बचपन तो उत्तराखंड के कुमायूं में स्थित कौसानी गांव में बीता था. इनके घर को ‘सुमित्रानंदन पंत साहित्यिक वीथिका’ नामक संग्रहालय बना दिया गया है. इस संग्रहालय में पंत जी के कपड़े, कलम व चश्मा समेत उनके जीवन से जुड़ी अन्य चीजें भी रखा गया है. इनकी स्मृति में प्रति वर्ष यहां पंत व्याख्यान माला का आयोजन होता है. इलाहाबाद शहर स्थित ‘हाथी पार्क’ का नाम परिवर्तित कर ‘सुमित्रानंदन बाल उद्यान’ किया गया है. पंत जी का निधन 28 दिसंबर 1977 को गया.