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नए साल पर निबंध – Essay on New Year in Hindi

नया साल पूरी दुनिया में अलग-अलग दिन मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत 1 जनवरी से मानी जाती है. क्योंकि इस कैलेंडर के हिसाब से 31 दिसंबर को एक वर्ष का अंत माना जाता है और 1 जनवरी से नए कैलेंडर वर्ष की शुरुआत होती है. इसलिए पूरी दुनिया में 1 जनवरी को ही नए वर्ष के रूप में मनाया जाता है. लोग इसे बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं.

अलग है हिन्दू पंचाग का नया साल – Essay on New Year in Hindi

हिन्दू पंचांग के अनुसार नए साल का आगाज गुड़ी पड़वा से होता है. लेकिन 1 जनवरी को नया साल मनाना सभी धर्म के लोगों में एकता कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. नए साल के जश्न की शुरुआत 31 दिसंबर की रात से ही शुरू हो जाता है. रात के 12 बजते ही लोग एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएम देने लगते हैं.

नए साल का महत्व – Importance of New Year

नया साल नई उम्मीदें, नए सपने और नए लक्ष्य की उम्मीदें देता है. इसलिए हम सबने पुराने वर्ष में जो कुछ भी सीखा है, सफल या असफल हुए हैं उससे सीख लेकर एक नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ना चाहिए. जिस तरह हम पुराने साल की समाप्ति पर दुःखी नहीं बल्कि नए साल का खुशी-खुशी और बड़े उत्साह के साथ स्वागत करते हैं, ठीक उसी तरह हमें जीवन में भी बीते समय के बारे में सोच-सोच कर दुःखी नहीं होना चाहिए. बीते हुए समय के बारे में सोचने से बेहतर है कि आने वाले अवसरों का दिल से स्वागत किया जाए और इसके माध्यम से जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करें. माना जाता है कि साल का पहला दिन अगर खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाए तो पूरा साल इसी तरह खुशियों के साथ बीतता है.

1 जनवरी को क्यों मनाया जाता है नया साल – Happy New Year

इस दिन नया साल मनाने के पीछे कई मान्यताएं और कारण हैं. सबसे प्रचलित मान्यता ये है कि जनवरी महीने का नाम दो मुख वाले रोमन के देवता “जानूस” के नाम पर रखा गया था. जानूस देवता का एक मुख आगे की तरफ और दूसरा मुख पीछे की तरफ था. कहते हैं कि दोनों तरफ मुख होने के कारण उन्हें बीते हुए कल और आने वाले कल के बारे में पता रहता था. इसलिए इन्हीं के नाम पर 1 जनवरी को नए साल के रूप में मनाया जाता है.

1 जनवरी को नया साल मनाने के पीछे एक अन्य वजह ये है कि करीब 45 ईसा पूर्व रोम के बादशाह जुलियर सीजर ने जुलियर कैलेंडर बनवाया था. तभी से 1 जनवरी को साल के पहले दिन के रूप में मनाया जाने लगा. लेकिन जुलियन कैलेंडर में कई त्रुटियां मिलने के बाद ग्रिगोरियन कैलेंडर आया. 1 जनवरी को मनाया जाने वाला न्यू ईयर ग्रिगोरियन कैलेंडर आधारित भी माना जाता है.

मान्यता है कि ईसाई धर्म के लोगों ने क्रिसमस की तारीख सुनिश्चित करने के लिए ग्रिगोरियन कैलेंडर को शुरू किया था. क्योंकि इसके पहले क्रिसमस की तारीख निर्धारित नहीं थी. वहीं हिन्दू धर्म में चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा या फिर चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन से ही नए साल की शुरुआत मानी जाती है. जबकि इस्लाम धर्म के अनुसार मोहर्रम माह की 1 तारीख से नया साल शुरू होता है. पंजाबी लोग और गुजराती दिवाली के दूसरे दिन जबकि महाराष्ट्र के लोग गुड़ी पड़वा के दिन से नए साल की शुरुआत मानते हैं.

नए साल पर उत्सव – New Year Festival

नववर्ष पर नए जोश के साथ नई शुरुआत होती है. नए साल की खुशी में लोग परिवार व साथियों संग पिकनिक पर जाते हैं और मौज-मस्ती करते हैं. नए साल का उत्साह तो बच्चों में देखते ही बनता है. नए साल का जश्न मनाने के लिए कई जगहों पर पार्टी आयोजित की जाती है. जिसमें डांस, गाना के साथ-साथ तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन का भी मजा लेते हैं. वहीं कई स्थानों पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

नववर्ष का स्वागत लोग खुशी-खुशी और अपने हिसाब से करते हैं. इन कार्यक्रमों के आयोजन का मकसद बीते हुए साल को हंसते-हंसते विदा करने व नए साल का स्वागत करने के लिए होता है. दिसंबर की सर्दियों में नए साल का आगमन लोगों को अलग तरह के उत्साह से ही भर देता है. नए साल के मौके पर लोग एक दूसरे को मैसेज, कविता व शायरी आदि के माध्यम से शुभकामना संदेश देते हैं. सभी दूसरे के लिए नए साल बेहतर बीतने की कामना करते हैं।

उपसंहार
इस तरह 1 जनवरी के अलावा पूरी दुनिया में अलग-अलग दिन और अलग-अलग ढ़ंग से नया साल मनाया जाता है. हर साल आता और जाता रहता है लेकिन याद रखें कि आपने प्रति वर्ष क्या नया किया है. हर किसी की जिंदगी में बहुत सारे उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. लेकिन इसको लेकर हमेशा चिंतित रहने की कोई आवश्यकता नहीं है बल्कि अपने बीते साल में की गई गलतियों से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए. नववर्ष लोगों में नई ऊर्जा का संचार करता है और आगे बढ़ने का जज्बा भी पैदा करता है. इसलिए बीते साल के दुःख दर्द को भुलाकर नए साल का पूरे उत्साह के साथ स्वागत करें.