You are currently viewing बाल दिवस पर लेख – Children’s Day Essay In Hindi

बाल दिवस पर लेख – Children’s Day Essay In Hindi

बच्चे ही किसी भी देश के भविष्य होते हैं और बच्चों के विकास से ही देश के विकास को मजबूती मिलती है. सीधे तौर पर कहें तो देश के बच्चे जितने शक्तिशाली होंगे उस देश का भविष्य भी उतना ही ज्यादा उज्ज्वल होगा. इसलिए भारत में बच्चों के सम्मान में एक विशेष दिन निर्धारित किया गया है, जिसे बाल दिवस के नाम से जाना जाता है. यह बच्चों को एक राष्ट्रीय त्योहार के रूप में समर्पित है.

कब मनाया जाता है बाल दिवस? – Children’s Day Essay In Hindi

हमारे देश में बाल दिवस 14 नवंबर को मनाया जाता है. इसी दिन स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु का जन्म हुआ था. नेहरु जी को बच्चे बहुत पसंद थे. इनका ज्यादातर समय बच्चों के बीच ही बीतता था. इसलिए बच्चे उन्हें चाचा नेहरु कहकर बुलाते थे. बच्चों के प्रति उनके लगाव को देखते हुए ही उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया. विश्व स्तर पर अलग-अलग तारीखों में बाल दिवस मनाया जाता है.

बाल दिवस का इतिहास – Children’s Day Essay In Hindi

बाल दिवस का पालन विश्व स्तर पर किए जाने का प्रस्ताव श्री वी कृष्णन मेनन ने दिया था. इसके बाद पहली बार बाल दिवस का पालन अक्टूबर में हुआ था. फिर इसे सभी देशों में स्वीकृति मिलने के बाद संयुक्त महासभा द्वारा 14 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस घोषित हुआ. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बच्चों के अधिकारों का हनन रोकने के लिए उनके अधिकारों की भी घोषणा की गई. इस घोषणा के आधार पर ही पूरे विश्व ने बाल दिवस मनाए जाने की बात को स्वीकार कर ली.

हमारे देश में 18 से कम उम्र के बच्चों को काम करने की इजाजत नहीं है बावजूद इसके यहां बाल श्रमिकों की संख्या में कोई कमी नहीं है. बाल अधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए इस दिवस का पालन आवश्यक है. चूकि बच्चे ही देश के भविष्य होते हैं इसलिए अगर वे छोटी उम्रे में ही काम करना शुरू कर देंगे तो देश का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा. सामान्य शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार सभी को है, तभी तो हमारा देश तरक्की करेगा.

बाल दिवस का महत्व – Children’s Day Essay In Hindi

बाल दिवस का अपना अलग ही महत्व है और यह दिन हर बच्चे के लिए खास होता है. कुछ लोग सोचते हैं कि इस दिवस को इतने धूमधाम से मनाने की क्या आवश्यकता है. ऐसा इसलिए किया जाता है कि बच्चों के बचपन से ही अपने अधिकारों औक कर्तव्यों की जानकारी हो सके. तभी तो अपने उपर होने वाले शोषण के खिलाफ वे आवाज उठा सकेंगे.
भारत में बाल दिवस कार्यक्रम – Children’s Day Essay In Hindi
14 नवंबर यानी बाल दिवस के दिन विभिन्न शिक्षण संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. जैसे फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता, खेल प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता व प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता आदि. इस दिन ज्यादातर बच्चे फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में अपने प्रिय चाचा नेहरु की वेशभूषा धारण करते हैं. शिक्षण संस्थानों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षकों द्वारा बच्चों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी दी जाती है. ताकि बच्चा भविष्य में एक सजग इंसान बन सके.
दुनियाभर में बाल दिवस कार्यक्रम – Children’s Day Essay In Hindi

दुनियाभर में बाल दिवस का पालन अलग-अलग दिनों पर किया जाता है. तारीख भले ही अलग हो लेकिन इसका मकसद एक होता है. बाल दिवस मनाने का मूल मकसद बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें तमाम बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना है.

विश्व स्तर पर पहली बार बाल दिवस कार्यक्रम जून 1857 में अमेरिका के मैसाच्युसेट्स शहर में पादरी डॉ चार्ल्सलेनर्ड द्वारा आयोजित किया गया. जबकि जून के दूसरे रविवार को आयोजन के कारण इसे पहले फ्लावर संडे का नाम मिला था. लेकिन बाद में इसके नाम को बदलकर चिलड्रेन्स डे कर दिया गया.

ठीक इसी तरह विश्व के विभिन्न देशों में अपनी महत्ता और मान्यताओं के मुताबिक इसे अलग-अलग दिन में मनाया जाता है. कई सारे देशों में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश भी होता है पर हर जगह इसके आयोजन का अर्थ एक ही होता है, यानी बाल अधिकारों की रक्षा करने के लिए आगे आना और लोगों मेंइस विषय के प्रति जागरुकता फैलाना. यही वजह है कि बाल दिवस का यह कार्यक्रम पूरे विश्व में इतना लोकप्रिय है और हर देश में इसे काफी उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है.

निष्कर्ष – Children’s Day Essay In Hindi

चिल्ड्रेंस डे कोई साधारण दिन नही है बल्कि यह हमारे देश की भावी पीढ़ी को उनके अधिकारों का ज्ञान देने के लिए निर्धारित किया हुआ एक विशेष दिन है. भारत जैसे विकासशील देश में इसका महत्व बहुत ज्यादा है क्योंकि यहां की उभरती हुई अर्थव्यवस्था के कारण बाल मजदूरी और बाल अधिकारों के शोषण की नित्य ही कोई ना कोई घटना सुनने को मिलती है. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम ना सिर्फ बच्चों को बल्कि उनके अभिभावकों को भी बच्चों के मौलिक अधिकारों के विषय में पूरी जानकारी दें और उन्हें इस विषय में अधिक से अधिक जागरुक करने का लगातार प्रयास करते रहें.