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गैंग्स ऑफ वासेपुर वाले सरदार के ‘पार्टनर’ को कितना जानते हैं आप?

सरफ़रोशी की तमन्ना…अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है. वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां…हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है! जितनी गहरी ये पंक्तियां हैं उतनी ही गहरी है जिंदगी, इन पंक्तियों को लिखने वाले की। इन पंक्तियों को लिखा है ‘मल्टी टैलेंटेड पीयूष मिश्रा ने. पीयूष आज के दौर में ऐसे अभिनेता हैं जिनका अपना एक अलग औरा है. उन्होंने अपनी जिंदादिली से अपना एक दायरा बनाया है. लोगों को ये दायरा पसंद आता है. कहते हैं, जब कोई पागल हो जाता है तो वो कुछ ऐसा करता है जिसे दुनिया देखती रह जाती है, ऐसा ही कुछ पीयूष के साथ है!

पीयूष हमेशा अपने किरदार, अपनी कविता, अपने बोलने के अंदाज़ से लोगों को चौंकाते रहे हैं. गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म अगर आपने देखी हो तो उसका शुरुआती सीन याद कीजिए. उस सीन के बाद जब नैरेशन शुरू होता है तब लगता है मानों इस आवाज़ को सुनते रहें. फिल्म के डायरेक्टर अनुराग कश्यप पीयूष की आवाज की कीमत जानते थे तभी उन्होंने पूरा नैरेशन इन्हीं से कराया.

कुछ हटके हैं पीयूष मिश्रा!

दिखने में भले ही पीयूष बहुत चार्मिंग न लगते हों लेकिन जब भी वो युवाओं के बीच पहुंचते हैं, उनकी लोकप्रियता देखने लायक होती है. मिश्रा जी पिछले 22 सालों से बॉलीवुड को एंटरटेन कर रहे हैं. जब भी जैसी जरूरत होती है वैसे बन जाते हैं पीयूष. गुलाल, रॉकस्टार, मकबूल जैसी सुपरहिट फिल्मों के गाने लिखने वाले पीयूष शुरुआत से ही बड़े ही जुझारू किस्म के थे.

किस्से बहुत हैं इनके…

पीयूष मिश्रा का जन्म जनवरी 1963 में हुआ था. भले ही आज ये मुंबई में हों लेकिन इनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ. पढ़े ये कान्वेंट स्कूल में फिर दाखिला लिया बीएससी में. लेकिन इनको एक्टिंग का कीड़ा काट चुका था. लिहाजा सब छोड़-छाड़ के पहुंच गए ड्रामा करने NSD (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) में. 1986 में पीयूष पहुंच गए थे, एक्टिंग और लिखाई पहले से ही जारी थी सो ज्यादा माहौल का फर्क नहीं पड़ा. छोटे-छोटे नाटकों में पीयूष भाग लेते, शार्ट फिल्म करते और तो और फिल्मों की एडिटिंग भी करते.

बहुत कम लोगों को पता है कि पीयूष एक्टिंग के चक्कर में घर से भाग गए. कुछ अलग करने की चाहत ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर किया. वो एक्टिंग को जीने में विश्वास रखते हैं. गुलाल फ़िल्म में उनका किरदार आप देखिए, आपको देखने में ये थोड़ा अजीब जरूर लगेगा. लेकिन आप सोचिये कि एक पागल का किरदार निभाना वो भी बड़े पर्दे पर कितना मुश्किल होगा. पीयूष ने 1998 में फिल्मी दुनिया में कदम रखा. पहली फिल्म थी दिल, जिसमें उन्होंने एक जांच ऑफिसर का किरदार निभाया.

अब क्या ही कहें!

पीयूष आज ऐसे हैं तो उनके पीछे उनका एक सिद्धांत भी है. वो बताते हैं कि उन्होंने बचपन में गीता पढ़ी थी. गीता की एक लाइन हमेशा के लिए उनके दिल में धंस गयी. वो लाइन थी कि एक बार किया गया काम कभी खाली नहीं जाता. पीयूष आज भी पूरे मन से काम करते हैं और रिजल्ट की ज्यादा चिंता नहीं करते. मैंने प्यार किया जैसी सुपरहिट फिल्म उन्होंने क्यों ठुकरा दी, ये उन्हें आज भी नहीं पता! वो इस सवाल का जवाब आज तक नहीं ढूंढ पाए.

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एक्टिंग के इतर उनकी कविताएं भी खासा लोकप्रिय हैं. वो कविता बहुत अलग अंदाज में लिखते हैं. आम आदमी से जुड़ी हुई चीजों पर उनका ज्यादा फोकस है. मसलन मजदूर, रिक्शावाला, कॉमन मैन, ऑफिस के लोग. इनकी कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया नाम की कविता बहुत फेमस है. ब्लैक फ्राइडे जैसी गहरी फिल्म के गाने इन्होंने ही लिखें और गाये हैं. प्रिया नारायणन इनकी पत्नी हैं जो इन्हें तब ही मिल गयीं जब ये बॉलीवुड में इंट्री के लिए संघर्ष कर रहे थे.

बाकी आप कमेन्ट कर बताएं कि पीयूष के बारे में आप और कैसी जानकारी चाहते हैं. हमारा आलेख कैसा लगा, ये भी बताना ना भूलें!