हम बदलते वक्त के साथ मॉडर्न होते जा रहे हैं. टेक्नोलॉजी हमारा सहारा बनती जा रही है. आलम ये है कि लोग हर चीज में अब मदद के तौर पर किसी न किसी टेक्निकल वस्तु या सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन एक सच और है जिसको अभी तक बदला नहीं जा सका. वो सच ये है कि हिंदुस्तान की ज्यादातर आबादी अभी भी कृषि पर ही निर्भर है.
कृषि अगर नहीं होगी तो हम बहुत सारी चीजों की कल्पना भी नहीं कर सकते. आप खुद सोचिए कि जो खाना आप खाते हैं वो आखिर अनाज से ही तो बनता है. आजकल कृषि में भी नई-नई तकनीक का प्रयोग हो रहा है और इसी कृषि में एक तरह की प्रणाली आजकल अधिकाधिक चर्चा में है. इसी कृषि के प्रकार का नाम है जैविक कृषि.
जैविक कृषि क्या होती है?
जैविक कृषि में फायदे ही फायदे!
वर्ल्ड ऑफ आर्गेनिक कल्चर के एक आंकड़े से पता चला है कि भारत में जैविक कृषि करने वाले किसानों की संख्या 8 लाख 35 हजार है. ये 8 लाख से ज्यादा लोग आज मुनाफा कमाकर अपनी और दूसरों की जिंदगी रौशन कर रहे हैं. ये किसान पूरी दुनिया में जैविक कृषि करने वालों की संख्या के 30 फीसदी हैं। कहा जा रहा है कि आगे ये संख्या और भी बढ़ती जाएगी.
दरअसल आज इतने लोग जैविक कृषि इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इसमें लगात बहुत कम है. जिस बिजनेस में पैसा कम लगे वो बिजनेस कौन नहीं करना चाहता! इस पारंपरिक खेती के तरीके में समय की बचत भी होती है. दिल्ली जैसे शहर में जहां प्रदूषण अधिक है, मिट्टी जहरीली हो चुकी है, हवा में भी जहर घुला है. ऐसी जगह में भी युवा किसान एक अच्छे वातावरण का निर्माण करके जैविक खेती के जरिए सब्जियां उगा रहे हैं. ये सब्जियां रासायनिक खादों से उगाई गई सब्जियों से बहुत ज्यादा अच्छी होती हैं. इनकी बिक्री भी अच्छी है.
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शहर में लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर बहुत ज्यादा जागरूक हैं. यही कारण है कि लोग ताजा और बेहतर सब्जी चाहते हैं, जो उनकी जैविक खेती से उगाई चीजों में मिलता है. सबसे अच्छी बात ये है कि अब आर्गेनिक सब्जियां ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं.जैविक खेती का एक बड़ा बिजनेस बनने का कारण इसकी स्थिरता भी है. अगर आप एक बार इसका सेटअप लगा लें तो आप लंबे वक्त के लिए निश्चिन्त हो सकते हैं. आपको लगातार मुनाफा भी मिलता रहेगा. सच ये है कि भारत भर के बाजार में जैविक उत्पाद महंगा बिक जाता है और इसकी मांग बढ़ रही है.
वातावरण को बचाना है चुनौती
एक कारण और है जिसे समझना बहुत जरूरी है. वो कारण ये है कि इस कृषि प्रणाली में मिट्टी के जैविक गुण और उपजाऊपन को बढ़ाया जा सकता है. किसान जैविक खाद और जैविक इंसेक्टिसाइट का उपयोग करके एक बेहतर फसल उगा सकता है. मॉडर्न दौर में अपने वातावरण को बचाना और हवा और पानी के प्रदूषण को कम करना सबसे बड़ी चुनौती है. केमिकल खाद और कीटनाशकों के साथ ग्राउंड वाटर का प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है. जैविक खाद और जैविक कीटनाशकों के इस्तेमाल से ग्राउंड वाटर के प्रदूषण के खतरे को बहुत कम कर सकते हैं, इसलिए ही ये कारगर भी हैं!
जैविक कृषि में लागत कम होती है, क्योंकि महंगी खाद और इन्सेक्टिसाइट खरीदने की इसमें कोई जरूरत नहीं होती है. लोग खाद आजकल घर पर ही तैयार कर रहे हैं. इसलिए लोग कहते हैं कि जैविक खेती में पारम्परिक खेती से अधिक श्रम लगता है. अगर पैदावार की बात करें तो पारम्परिक खेती से जैविक खेती में ये कम होती है, मगर कमाई ज्यादा होती है क्योंकि पैदावार का दाम अधिक मिलता है. लोग अच्छी चीजों का पैसा ज्यादा भी देने को तैयार रहते हैं. किसान आजकल जैविक खेती से उगाई फसल अपने दूसरे किसानों को बेचकर भी मुनाफा कमा रहे हैं.
आपको भी जैविक खेती से जुड़ा कोई पहलू मालूम है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं!