भीमराव का आरंभिक जीवन – Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi
शिक्षा – Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi
इनकी प्रारंभिक शिक्षा दापोली और सतारा में हुआ। साल 1907 में इन्होंने मुंबई के एलफिन्स्टोन स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की। इस खास अवसर पर एक अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें उनके शिक्षक श्री कृष्णाजी अर्जुन केलुस्कर ने उन्हें भेंट स्वरुप स्वलिखित पुस्तक ‘बुद्ध चरित्र’ प्रदान की। भीमराव ने बड़ौदा नरेश सयाजी राव गायकवाड की फेलोशिप पाकर साल 1912 में मुबई विश्वविद्यालय से फारसी लेकर स्नातक की परीक्षा पास की।
फिर स्नातक में उत्तीर्ण होने के बाद एम.ए. की पढ़ाई के लिए वे बड़ौदा नरेश सयाजी गायकवाड़ की पुनः फेलोशिप पाकर अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिय। साल 1915 में उन्होंने एम.ए. की परीक्षा पास की। यहां उन्होंने अपना शोध ‘प्राचीन भारत का वाणिज्य’ लिखा था। फिर साल 1916 में अम्बेडकर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय (अमेरिका) से ही पीएच.डी. की उपाधि हासिल की। उन्होंने पीच.डी. में ‘ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकेन्द्रीकरण’ विषय पर शोध किया था।
इसके बाद अब फेलोशिप समाप्त होने के बाद अम्बेडकर को भारत लौटना था और वे ब्रिटेन होते हुए भारत लौट रहे थे। उन्होंने वहां लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पोलिटिकल सांइस में एम.एससी. और डी. एससी. साथ ही विधि संस्थान में बार-एट-लॉ की उपाधि के लिए स्वयं को पंजीकृत करके भारत लौटे। छात्रवृत्ति की शर्त के अनुसार इन्होंने सबसे पहले बडौदा नरेश के दरबार में सैनिक अधिकारी व वित्तीय सलाहकार का दायित्व स्वीकारा। पूरे शहर में उन्हें कोई भी किराए पर रखने को तैयार नहीं हुआ। इस समस्या से परेशान होकर वे कुछ ही दिनों में मुंबई वापस आ गए।
राजनीतिक जीवन – Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi
इन्होंने 31 जनवरी 1920 को “मूकनायक” नामक एक साप्ताहिक अखबार शुरू किया। साल 1924 में दलितों को समाज में अन्य वर्गों के बराबर स्थान दिलाने के लिए बाबासाहब ने बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की। वहीं वर्ष 1932 में महात्मा गांधी और डॉ. अम्बेडकर के बीच एक संधि हुई, जिसे ‘पूना संधि’ के नाम से जाना जाता है। इन्होंने अगस्त 1936 में “स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की और फिर साल 1937 में कोंकण क्षेत्र में पट्टेदारी को खत्म करने के लिए विधेयक पास करवाया। भारत को आजादी मिलने के बाद इन्हें संविधान रचना की जिम्मेवारी सौंपी गई।
अम्बेडकर ने फरवरी 1948 में संविधान का प्रारूप प्रस्तुत किया जिसे 26 जनबरी 1949 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंपा। उन्होंने समता, समानता, बन्धुता और मानवता आधारित भारतीय संविधान को 02 वर्ष 11 महीने 17 दिन के कठोर परिश्रम से तैयार किया था। साल 1951 में अम्बेडकर ने कानून मंत्री के पद से त्याग पत्र दे दिया था।
सामाजिक जीवन – Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi
इन्होंने अस्पृश्यता, अशिक्षा, अन्धविश्वास के अलावा सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक विषमता को सबसे बड़ी बुराई बताया है। इन्होंने एक नैतिक व न्यायपूर्ण आदर्श समाज निर्माण के लिए स्वाधीनता, समानता और भ्रातृत्व के सूत्रों को आवश्यक बताकर इनका समर्थन किया। डॉ. अम्बेडकर ने वर्णव्यवस्था और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ हिन्दू समाज में काफी संघर्ष किया। अंत में वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि हिन्दूधर्म को सुधारा नहीं जा सकता बल्कि उसे छोड़ा जा सकता है। इसलिए उन्होंने साल 1956 में बौद्धधर्म स्वीकार क लिया।
डी.लिट. से सम्मानित – Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi
भीमराव अम्बेडकर को कोलंबिया विश्वविद्यालय ने एल.एलडी और उस्मानिया विश्वविद्यालय ने डी.लिट. की मानद उपाधियों से सम्मानित किया था। डॉ. अम्बेडकर के नाम के साथ बीए, एमए, एमएससी, पीएचडी, बैरिस्टर, डीएससी, डी.लिट. समेत कुल कुल 26 उपाधियां जुड़ी है। इस प्रकार वे वैश्विक युवाओं के प्रेरणा बन गए।
योगदान – Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi
भारत रत्न डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने अपने जीवन के 65 वर्षों में देश सेवा हेतु विभिन्न क्षेत्रों में अनगिनत कार्य करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनमें सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, ऐतिहासिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, संवैधानिक व औद्योगिक सभी क्षेत्र शामिल हैं।
अम्बेडकर के विचार – Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi
– जीवन लंबा होने की बजाय महान होना चाहिए.
– पति-पत्नी के बीच का संबंध हमेशा घनिष्ट मित्रों के सामान होना चाहिए.
– हिंदू धर्म में विवेक, कारण, और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है.
– मैं किसी समुदाय की प्रगति, महिलाओं द्वारा हासिल की गई प्रगति से मापता हूं.
– एक सफल क्रांति के लिए सिर्फ असंतोष का होना पर्याप्त नहीं है. बल्कि न्याय, राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था की आवश्यकता है.
– लोग और उनके धर्म सामाजिक मानकों द्वारा सामजिक नैतिकता के आधार पर परखे जाने चाहिए. अगर धर्म को लोगो के भले के लिए आवश्यक मान लिया जायेगा तो और किसी मानक का मतलब नहीं होगा.
– हमारे पास यह स्वतंत्रता किसलिए है? हमारे पास ये स्वतंत्रता इसलिए है ताकि हम अपनी सामाजिक व्यवस्था को सुधार सकें.
डॉ. भीमराव अम्बेडकर की मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को 63 साल की उम्र में हो गई. उनके अनुयायियों द्वारा इस दिन को डॉ. अम्बेडकर जी के महापरिनिर्वाण दिवस रूप में मनाया जाता है.