You are currently viewing advantages-and-disadvantages-of-merging-banks

advantages-and-disadvantages-of-merging-banks

आप मन लगाकर..सारे शौक भूलकर..दिन रात इतनी मेहनत क्यों करते हैं? क्योंकि आपके हाथ में कुछ पैसा रह सके. हर शख्स कमाना चाहता है. चार पैसे बचाना चाहता है. पैसे बचाकर वो उसे बैंक में रखता है. बैंक आखिर उस पैसे का क्या करते हैं? बैंक ग्राहक को पैसे रखने के बदले इंटरेस्ट देते हैं. अभी हाल ही में बैंकों के विलय की घोषणा हुई है. इस घोषणा के आखिर मायने क्या हैं? बैंकों के विलय का असर..नफा..नुकसान ये सब आपके लिए जानना जरूरी है. लेकिन सबसे पहले ये जानिए कि किन-किन बैंकों का विलय हुआ है?

  1. ओरियेंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया इन दोनों बैंकों का विलय पंजाब नेशनल बैंक में हुआ है.
  2. सिंडिकेंट बैंक का विलय केनरा बैंक में हुआ है.
  3. आंध्रा बैंक और कार्पोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में हुआ है.
  4. इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में हुआ है.

ये यहां जानते हैं कि बैंकों के विलय होने से क्या होता है:

अर्थव्यवस्था होगी मजबूत

सरकार जब कोई फैसला लेती है तो वो सोच-समझकर ही लेती है. सरकार ने बैंकों के विलय का फैसला देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए लिया है. इसे ऐसे समझिए- पहले देश में ज्यादा बैंक थे लेकिन बैंकों का आकार अर्थव्यवस्था के हिसाब से छोटा था और अब जब बैंकों का विलय हो जाएगा तो बैंकों का आकार बड़ा होगा. इससे अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर पड़ेगा. बैंकों के पास पैसा ज्यादा होगा. उस पैसे का जहां भी इस्तेमाल सरकार करना चाहेगी वो कर सकेगी.

वित्तीय संकट आने के आसार कम हो जाएंगे. दूसरे देशों से अगर भारत को व्यापार मजबूत करने हैं तो इसके लिए जरूरी है कि देश में मौजूद बैंकों कि स्थिति ठीक हो और ऐसा विलय से संभव हो सकेगा. देश की अर्थव्यवस्था का आकार भी बैंकों के विलय की वजह से बढ़ेगा.

बैंकिंग के खर्चे कम होंगे

आपके घर में जितने ज्यादा सदस्य होते हैं, उतना ही खाना बनता है ना! ठीक ऐसे ही जितने ही ज्यादा बैंक उतने ही ज्यादा खर्चे. बैंकों के विलय करने के पीछे एक बड़ा कारण ये भी है. इस वजह से सरकार ने बैंकिंग के खर्चों को कम करने के लिए इस फैसले को लिया है. अब आगे चलकर बैंकिंग में सरकार को कम पैसा खर्च करना होगा. इसका सीधा फायदा बैंकों को होगा. बैंक समृद्ध होंगे तो आप भी समृद्ध होंगे.

एनपीए (नॉन परफार्मिंग एसेट) घटेगा

बैंकों का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है. इसका कारण है बैंको का बढ़ता एनपीए. एनपीए दरअसल वो कर्ज होता है जो बैंक वसूल नहीं कर पाती. बैंक ने अगर किसी को कर्ज दे दिया और उसने उस कर्ज को चुकाया नहीं, चाहे इसकी वजह कुछ भी हो इसका सीधा असर बैंक को पड़ता है. छोटे बैंकों की कमर ऐसे में टूट जाती है. वो इस कर्जे को झेल नहीं पाते. इसलिए सरकार ने एनपीए को घटाने के लिए बैंकों को मिलाने का फैसला किया है. अगर बैंक बड़े होंगे तो वो बड़े कर्ज से निपटने में पूरी तरह से सक्षम होंगे.

लोन में होगी आसानी

जब बैंकों की आर्थिक स्थिति ठीक होती है तो बैंकों के पास खूब पैसा होता है ग्राहकों को देने के लिए. बैंक अगर छोटे होंगे तो उनके खर्चे और बाकी चीजें मिलाकर उनका पास पैसा नहीं बचेगा ग्राहकों को देने के लिए. छोटे बैंकों के पास ज्यादा बिजनस नहीं होता इसलिए उनमें रिस्क होता है पैसा रखने में. ऐसे में अगर छोटे बैंक बड़े बैंकों से मिल जाएं तो आपको लोन आसानी से मिल सकेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि बड़े बैंकों के पास कोई कमी नहीं है आपको पैसे देने की.

योजनाओं का पैसा आराम से बंटेगा

कई बार ऐसा देखा गया है कि छोटे बैंकों में पैसा डालने पर वो पैसा डूब जाता है. कई बार तो बैंक बंद हो जाते हैं. सरकारी बैंकों के साथ ऐसा अक्सर होता है. गड़बड़ी की वजह से, घोटालों की वजह से बैंकों में स्थायित्व नहीं होता. इसलिए सरकार ने छोटे बैंकों का बड़े बैंकों में विलय का फैसला लिया ताकि जब वो सरकारी योजनाओं का पैसा इन बड़े बैंकों में डाले तो वो पैसा सीधे हितग्राही को मिले.

यह भी पढ़ें: एटीएम का उपयोग करते समय जरूर रखें इन 6 बातों का ध्यान

बेरोजगारी बढ़ने की आशंका

कुछ फैसलों के फायदे होते हैं तो नुकसान भी. ऐसे ही विलय से एक नुकसान की आशंका है. दरअसल जब बैंकों की संख्या कम होगी तो बैंकों में से कर्मचारी भी निकाले जाएंगे. ऐसे में ये आशंका है कि बेरोजगारी की दर बढ़ जाए. बैंको से पहले भी छंटनी होती रही है इसकी वजह से बेरोजगारी बढ़ी है. ऐसे में फिर आशंका जताई गई है.

बैंकों के विलय के बारे में आप क्या सोचते हैं ये आप हमें जरूर बताइए!