‘आपने देखा कैसे थे उनके घर के बच्चे, न अच्छे कपड़े, ना साफ-सफाई, ना अच्छी बोली, ना रहन सहन…पता नहीं कैसे संस्कार मिले हैं इन्हें? ‘
ये बात अक्सर आपने पेरेंट्स के बीच होती सुनी होगी. जब वो किसी के घर कोई काम या त्योहार में शामिल होने जाते हैं. संस्कार की बात हर कोई करता है. अब आप कहेंगे कि जमाना तो इतना आगे बढ़ गया फिर संस्कारों का क्या काम? आप ऐसा सोचते हैं कि इस मॉडर्न युग में संस्कार की जरूरत नहीं है तो आप गलत हैं. क्योंकि अगर संस्कार नहीं होंगे तो आपकी इमेज दूसरों के मन में खराब होना तय है.
आखिर संस्कार है क्या?
असल में संस्कार किसी व्यक्ति के गुण होते हैं. उसका रहन सहन होता है. उसकी बोली होती है. वो जैसा समाज में अपने आप को दिखाता है, वैसे ही उसके संस्कारों का पैमाना होता है. अच्छे संस्कार यानी अच्छे मानसिकता के लोग. आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से यही बताएंगे कि आखिर संस्कार किसी भी व्यक्ति के लिए क्यों जरूरी हैं?
एक अच्छा इंसान बनने के लिए
आप लोगों के दिलों में तभी जगह बना पाएंगे जब आप एक अच्छे इंसान बनेंगे. और अच्छा इंसान बनने के लिए अच्छे संस्कारों का होना बहुत जरूरी है. इंसान जब जन्म लेता है तब उसके पास ज्ञान होता है, लेकिन उसे उस ज्ञान का पता नहीं होता. जब हम उसे संस्कार देते हैं तब ही उसे पता चलता है कि उसके पास कितना ज्ञान है. वो अपने ज्ञान का प्रयोग किस तरह कर सकता है.
हर धर्म में चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम या सिख या ईसाई, संस्कार दिये जरूर जाते हैं. इससे ही लोगों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जाता है. इसलिए याद रखें कि जब आपके घर में किसी नन्हें मेहमान का आगमन हो तो उसे उस टाइम से ही संस्कार देने की शुरुआत करें. आपके इस काम से उसका भविष्य उज्ज्वल होगा.
मैच्योर बनने के लिए
मैच्योरिटी आज के वक्त में सबसे बड़ी जरूरत है. जो इंसान मैच्योर यानी परिपक्व नहीं है उसे कोई नहीं पूछता! परिपक्वता आती सिर्फ और सिर्फ संस्कारों से है. इंसान 22 से 25 साल की उम्र में परिपक्व हो जाता है. लेकिन अगर उसे बचपन से अच्छे संस्कार नहीं दिए गए तो अच्छे और बुरे के बीच में फर्क समझ नहीं पाएगा और सब कुछ गड़बड़ हो जाएगा.
समाज को जानने के लिए
समाज के बारे में जानकारी के लिए भी संस्कारी होना पड़ता है. आप इसी से लोगों के आचरण के हिसाब से जज करना सीखते हैं. समाज में बहुत तरह के लोग रहते हैं, सबकी मानसिकता अलग-अलग होती है. अगर आपके पास बुद्धि नहीं होगी तो आप पहचान ही नहीं कर पाएंगे कि अच्छा कौन है और बुरा कौन! आपको महाभारत की कहानी याद होगी.
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महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच में युद्ध हुआ. इन दोनों पक्षों में भी अलग-अलग तरह के संस्कार थे. कौरव अच्छी सुविधाओं के बीच भी संस्कारी नहीं बन पाए, सीख नहीं पाए. उनमें घमंड व्याप्त था. जबकि पांडव जंगल मे पले-बढ़े. उनका पालन कुंती ने किया. कुंती ने जंगल में पालन-पोषण करने के साथ-साथ उन्हें संस्कार भी दिए. इसलिए कौरव और पांडवों में फर्क आसानी से समझा जा सकता है.
ज्ञान अर्जन के लिए और दूसरों की मदद करने के लिए भी संस्कार बहुत जरूरी होते हैं. आपने अपने बच्चों को कैसे संस्कारी बनाया है, हमें नीचे कमेंट बॉक्स में बताएं!