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जब हम नादान थे तो करते थे कौन-कौन सी गलतियां?

अगर बचपन के दिनों को याद करने बैठेंगे तो आपको सोचते-सोचते बहुत कुछ याद आता चला जाएगा. आप जब अपने दिमाग को बचपन में ले जाएंगे तो आपको याद आएगा कि आप क्या-क्या करके बड़े हुए हो? हालांकि आजकल के टाइम में लोगों के पास इतना ज्यादा वक्त नहीं है इन सब के बारे में सोचने का लेकिन अगर आप सोचने बैठेंगे तो आपको बहुत ज्यादा मजा आएगा. अगर आप इतना भी नहीं कर सकते तो चलिए ये आर्टिकल ही पढ़ लीजिए. आप इसको अंतिम तक पढ़ेंगे तो आपको पुराने दिन याद आएंगे इस बात की पक्की गारंटी है.

इस आर्टिकल में हम आपको बहुत खूबसूरत सी चीज बताने जा रहे हैं और वो खूबसूरत सी चीज है आपकी तरफ से बचपन में की जाने वाली नादानियां. वो गलतियां जो हम नादानी में कर दिया करते थे. जब आदमी अपना बचपन जी रहा होता है तब उसकी बुद्धि उतनी नहीं होती कि वो अपना अच्छा और बुरा समझ सके. उसे जो मन में आता है वो वही करता है. अब सवाल यही है कि आखिर वो गलतियां कौन-कौन सी हैं जो हम बचपन में करते थे. यहाँ कुछ कॉमन से नादानियाँ दी गई हैं:

मम्मी से रूठ जाना – Childhood mistakes

बचपन में हम सबके सबसे ज्यादा करीब अगर कोई होता है तो वो होती है हमारी मां. हम मां से वो सबकुछ बोल पाते हैं जो हम किसी और से नहीं बोल पाते. मम्मी के हाथ का खाना और मम्मी के साथ की गईं बातें आज भी अचानक याद आ जाती हैं. लेकिन हम और आप सबने मम्मी से रूठने का काम जरूर किया होगा. और हम रूठते भी क्यों थे? क्योंकि कभी-कभी मम्मी हमारे पसंद का खाना नहीं बनती थी. वो हमें बाहर अपने दोस्तों के साथ खेलने नहीं जाने देती थी. जब खाना खा रहे हों तो वो कहती थी बेटा टीवी मत देखो. अब थे तो नादान इसलिए मम्मी से रूठ जाते थे. हालांकि बाद में फिर मम्मी को मनाने में भी लग जाते थे. क्योंकि मां तो मां होती है ना दोस्त!

पापा से जबरदस्ती जिद करना

आप लोग बचपन में मेला घूमने गए हैं कि नहीं? बहुत लोग जरूर गए होंगे. हम बचपन में मेला जाते किसके साथ हैं? जाहिर है, मम्मी और पापा के साथ! अब मम्मी के हाथ में तो पैसा होता नहीं है तो बचा कौन? हमारे पाप! इसके बाद जब पापा ही बचे हैं तो खिलौने के लिए उनसे जिद करना तो हमारा फर्ज ही होता है. हम लोग अपने जिद के चक्कर में पापा की जेब ढीली करवाते थे. हम जबरन जिद करके पापा से खूब खिलौने ख़रीदवाते थे. अगर उन्होंने मना किया तो फिर जिद शुरू. जिद हमारे लिए बचपन का हथियार हुआ करती थी. कोई भी काम के लिए अगर पापा नहीं मान रहे हैं तो बस जिद करना शुरू कर दो, काम तो बनना ही है!

अपनी बहन को चिढ़ाना – Childhood mistakes

अपनी बचपन की यादों पर आप गौर करेंगे तो आपको याद आएगा कि आपने अपनी बहन को मजे के लिए खूब चिढ़ाया है. जब भी आप बोर हो रहे होते थे तो नादानी में अपनी बहन के साथ शरारत करना शुरू. बहन कुछ बोलेगी नहीं तो चलो भाई उसे चिढ़ाकर ही टाइम पास कर लो. ऐसा करने से हमें बचपन में एक अजीब-सी खुशी मिला करती थी. हालांकि हो सकता है कुछ लोग मेरी बात से इत्तेफाक नहीं रखें, लेकिन जनरली ऐसा होता ही था. क्योंकि ये दौर था नादानियों का!
बिना बताए घर से घूमने निकल जाना
बचपन में आपको घूमना बहुत पसंद आता था. यही कारण था कि कई बार आप गलती से बिना बताए घर से निकल जाते थे. आपके लिए तो ये बस एक गलती होती थी लेकिन जिसके लिए ये बहुत खतनाक बात होती थी वो थे हमारे मां पापा. क्योंकि उनकी जान हमारे अंदर ही बसती थी. वो आपको खोजने में अपना बहुत सारा वक्त खपा देते थे. आपको वापस पाकर वो खुश होते थे. इसलिए आपको याद हो तो आपके पापा या मम्मी आपको हमेशा बोला करते थे कि बेटा बिना बताए घर से बाहर मत जाओ.
दोस्तों से झगड़ा करना – Childhood mistakes

दोस्त भी बचपन की जान हुआ करते थे. जिसका कोई दोस्त ना हुआ उसने क्या ही बचपन जिया? बचपन में हम असल मायनों में दोस्तों के साथ बहुत सारा वक्त गुजारा करते थे. दोस्त के साथ खाना, दोस्त के घूमना और दोस्त के साथ ही खेलना. लेकिन कभी-कभी नादानी में हम अपने दोस्त से लड़ भी लेते थे. लड़ाई भले ही छोटी-छोटी बात पर हो लेकिन होती खूब थी. क्रिकेट खेलते हुए ऐसा होता ही होता था. अपनी बैटिंग के इंतजार में हम दोस्त से अक्सर लड़ लिया करते थे.

आपको अपनी कुछ और नादानियां याद हैं तो कमेन्ट में हमारे साथ जरूर शेयर करें!