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छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन परिचय – Shivaji Maharaj Biography in Hindi

भारत शुरू से ही वीर शासकों और राजाओं का देश रहा है. उन्हीं में से एक महान यौद्धा थे छत्रपति शिवाजी महाराज जिन्होंने भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी. मुगलों के साथ शिवाजी ने कई सालों तक युद्ध किया था. इनका पूरा नाम शिवाजी राजे भोसलें (Shivaji Maharaj Biography in Hindi) था और सन् 1674 ईं. में उन्हें रायगढ़ महाराष्ट्र में राज्याभिषेक पर छत्रपति की उपाधि मिली.

अपने शासनकाल में शिवाजी महाराज चतुर किस्म के राजा हुआ करते थे. इनका जीवन चरित्र इतना प्रभावी था कि लोग इनसे सीख लेते हुए भारत की आजादी में अपनी जान न्योछावर कर देते थे. इन्होंने भारतीय समाज के प्राचीन हिन्दू राजनैतिक प्रथाओं के साथ-साथ मराठी और संस्कृत को राजाओं की भाषा शैली बनाया.

शिवाजी महाराज का जन्म – Shivaji Maharaj Biography in Hindi

महाराज शिवाजी का जन्म 10 अप्रैल 1627 ई. को शिवनेर के दुर्ग में हुआ था. यह दुर्ग पूना से उत्तर जुन्नार नगर के निकट तक था. हालांकि इनकी जन्मतिथि को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है. कहीं इनका जन्म 20 अप्रैल 1626, कहीं 19 फरवरी 1630 तो कहीं 9 मार्च 1630 बताया गया है.

बचपन – Shivaji Maharaj Biography in Hindi

इनका बचपन कष्टों से भरा था. अपनी सौतेली मां के कारण काफी वर्षों तक वे पिता के प्यार से वंचित रहे. कहा जाता है कि इनके पिता शाहजी भोसले अपनी दूसरी पत्नी तुकाबाई मोहिते पर ज्यादा ध्यान देते थे. जबकि शिवाजी की मां जीजाबाई उपेक्षित जीवन व्यतीत कर रही थीं. लेकिन जीजाबाई असाधारण प्रतिभा संपन्न होने के साथ उच्च कुल की महिला थीं. धार्मिक प्रवृत्ति की होने के कारण उन्होंने अपने बेटे को हिन्दू धर्म की आदर्श गाथा सुनाकर बड़ा किया था. शिवाजी को अपनी मां से शुरुआत के दिनों से ही महान बनने की प्रेरणा मिलती रही.

शिक्षा – Shivaji Maharaj Biography in Hindi

शिवाजी महाराज हैदरअली और रणजीत सिंह की तरह नियमित शिक्षा हासिल नहीं कर पाए. इनके पिता शाहजी भोसले ने अपने सेवक दादाजी कोणदेव को शिवाजी का संरक्षक नियुक्त कर रखा था. दादाजी एक अनुभवी विद्वान होने के नाते शिवाजी को मौखिक रूप से रामायण, महाभारत समेत अन्य धर्म ग्रंथों की जानकारी दे दी थी. इसके अलावा शिवाजी को युद्ध कला की शिक्षा भी इन्होंने ही दी थी. यानी शिवाजी के जीवन पर उनकी मां और दादाजी कोणदेव का ही अत्यधिक प्रभाव पड़ा.

इनके चरित्र निर्माण में गुरु रामदास का प्रभाव भी कम नहीं था. गुरु रामदास ने उन्हें मराठों को इक्ट्ठा करने और जन्मभूमि की सुरक्षा का पाठ पढ़ाया था. शिवाजी महाराज मां, गुरु और संरक्षक से प्रेरित होकर निर्भिक और साहसी योद्धा बन गए. यहां से मिले आदर्शवादी ज्ञान से प्रेरित होकर उन्होंने धर्म, धरती और गाय की रक्षा के नाम पर एक राष्ट्र निर्माण का सपना देखने लगे. इनका संकल्प था कि वे विदेशी सत्ता से अपनी धरती को मुक्त जरूर करेंगे.

चरित्र – Shivaji Maharaj Biography in Hindi

शिवाजी महाराज की शादी 1641 ई. में सईबाई निम्बलकर के साथ हुई थी. शिवाजी के संरक्षक दादा कोणदेव परंपरागत ढ़ंग की सेवा करने के पक्षधर थे. लेकिन शिवाजी स्वतंत्र प्रवृति के थे इसलिए उन्हें सेवावृत्ति पसंद नहीं थी. महज 16 साल की उम्र में ही शिवाजी ने कोंकण के आसपास लूट-पाट करना शुरू कर दिया था. यह जानकारी मिलने पर दादाजी को बहुत दुःख लगा था और मार्च 1647 में उनकी मौत हो गई. दादाजी की मौत के बाद शिवाजी ने स्वतंत्र रूप से अपनी मंजिल तक पहुंचने का निर्णय लिया.

राज्याभिषेक – Shivaji Maharaj Biography in Hindi

शिवाजी महाराज ने साल 1674 तक उन प्रदेशों पर अधिकार जमा लिया था जो पुरंदर की संधि के अंतगर्त उन्हें मुगलों को देने पड़े थे. बालाजी राव ने प्रमाण भेजा था कि शिवाजी का संबंध मेवाड़ के सिसोदिया वंश से है. शिवाजी के राज्याभिषेक कार्यक्रम में विदेशी व्यापारियों और विभिन्न राज्यों के दूतों को भी बुलाया गया था. काशी के पंडित भट्ट को इस समारोह में विशेष रूप से बुलाया गया था. शिवाजी को छत्रपति की उपाधि दी गई लेकिन उपाधि मिलने के 12वें दिन ही उनकी माता का देहांत हो गया. इसके बाद उनका फिर से राज्याभिषेक किया गया.

शिवाजी का शासन – Shivaji Maharaj Biography in Hindi

इन्हें एक कुशल सम्राट के रूप में जाना जाता है. ये भारतीय इतिहास और राजनीति से अच्छी तरह परिचित थे. कई बार इन्होंने कौटिल्य और शुक्राचार्य को आदर्श मानकर कूटनीति का सहारा लेना सही समझा. इनके शासनकाल में मराठा साम्राज्य 4 भागों में विभाजित था. हर राज्य में एक-एक सूबेदार होते थे और इन सूबेदारों को प्रान्तपति कहा जाता था. इन सूबेदारों के पास भी एक अष्ट प्रधान समिति होती थी.

धार्मिक नीति – Shivaji Maharaj Biography in Hindi

शिवाजी महाराज एक कट्टर हिन्दू थे लेकिन उनके साम्राज्य में मुसलमानों को पूरी तरह धार्मिक आजादी थी. वे मस्जिद निर्माण के लिए मुसलमानों को अनुदान भी देते थे. उनके मन में हिन्दू पंडितों, संतों, फकीरों, मुसलमानों के प्रति सम्मान की भावना थी. मुख्य रूप से इन्होंने हिन्दू शिक्षा और मूल्यों पर बल दिया.

मृत्यु – Shivaji Maharaj Biography in Hindi

अंतिम समय में शिवाजी बीमार रहने लगे थे और 3 अप्रैल 1680 को उनकी मृत्यु हो गई. इसके बाद इनके पुत्र को राजगद्दी मिली. शिवाजी के मरने के तुरंत बाद ही साल 1681 में औरंगजेब ने मराठों, गोलकुंड, आदिल शाही के प्रदेशों पर कब्जा करने के लिए दक्षिण भारत में अपनी 5 लाख सेना के साथ अभियान चलाया.