जन्म और विवाह – Rawal Ratan Singh Biography in Hindi
इनका जन्म 13वीं सदी के अंत में हुआ था. लेकिन इतिहास में इनके जन्म की सही तारीख उपलब्ध नहीं है. बस इतनी जानकारी है कि इनका जन्म रावल वंश के राजपूत के घर हुआ था. इनके पिता का नाम रावल समरसिंह था, जो चित्रकुट के राजा थे. रतन सिंह की शादी महारानी पद्मावती से हुई थी, जो एक बहुत ही खूबसूरत महिला थी.
वह एक स्वाभिमानी और साहसी महिला भी थी. पद्मावती की सुंदरता के चर्चे हर जगह थे. इनकी खूबसूरती की कहानी सुनकर दिल्ली का तत्कालीन बादशाह अलाउद्दीन खिलजी उन्हें पानी के लिए लालायित हो गया था. महारानी पद्मावती को पाने के लिए अलाउद्दीन ने चित्तौड़ दुर्ग पर अपनी सेना के साथ चढ़ाई कर दी थी.
कहा जाता है कि रतन सिंह ने एक स्वयंवर में पद्मावती से शादी की थी. रतन सिंह और अलाउद्दीन के बीच टकराव की एक वजह ये भी थी. सुल्तान ने राजा को बंदी बना लिया लेकिन राजा के सैनिकों ने फिर उन्हें आजाद करा लिया.
इसके बाद सुल्तान ने किले पर हमला किया लेकिन वो अंदर प्रवेश नहीं कर सका. ऐसी परिस्थिति में वो बाहर ही कब्जा जमाए डटा रहा. फिर रतन सिंह ने अपनी सेना से कहा कि सब अंतिम सांस तक लड़ाई करते रहें. सुल्तान द्वारा राजपूत राजा को हराने के बाद उनकी पत्नी ने रानी पद्मावती ने जौहर (आत्मदाह) कर लिया.
अलाउद्दीन के साथ रतन सिंह की लड़ाई – Rawal Ratan Singh Biography in Hindi
विभिन्न मतों के अनुसार, अलाउद्दीन खिलजी और रतन सिंह के टकराव को आप अलग करके नहीं देख सकते. सत्ता के इस संघर्ष की शुरुआत मोहम्मद गोरी एवं पृथ्वीराज चौहान के बीच हुई थी. वह साल था 1191 था. किसी का कहना है कि राजपूतों और तुर्कों के बीच संघर्ष के बाद फिर दिल्ली सल्तनत और राजपूतों के बीच लड़ाई शुरू हो गई. इस दौरान गुलाम से शहंशाह बने लोगों ने राजपुताना में पैर फैलाने की कोशिश करने लगे.
एक तरफ कुतुबुद्दीन ऐबक अजमेर में तो इल्तुत्मिश जालौर में सक्रिय हो गए. संघर्ष चलने के दौरान ही खिलजी आए और उनका कार्यकाल 1290 से 1320 के बीच रहा. खिलजी को इन सभी में सबसे महत्वाकांक्षी माना जाता है. फारसी दस्तावेजों में चित्तौड़ के बारे में साल 1310 का जिक्र मिलता है. जिसमें साफ-साफ कहा गया है कि खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला राजनीतिक कारणों की वजह से किया था.
ऐसे हुई थी चित्तौड़ की घेराबंदी – Rawal Ratan Singh Biography in Hindi
अलाउद्दीन खिलजी की विशाल सेना ने 28 जनवरी 1303 को चित्तौड़ की ओर कुच करने लगे. इन लोगों ने गम्भीरी नदी और बेडच के बीच अपना डेरा डाला. खिलजी की सेना ने चित्तौरगढ़ किले को चारो तरफ से घेर लिया. यह घेराबंदी 6-8 महीने तक चलती रही. खुसरो ने किताब में लिखा है कि खिलजी की सेना ने दो बार आक्रमण किया फिर भी असफल रही.
बरसात के दिनों में खिलजी की सेना किले के निकट पहुंच गई लेकिन इनका आगे बढ़ना मुश्किल हो गया. अंत में खिलजी ने उस किले को पत्थरों से प्रहार करके गिराने का निर्देश दिया. आखिरकार अलाउद्दीन 26 अगस्त 1303 को किले में प्रवेश करने में सफल हुआ. इस सफलता के बाद उसने चित्तौड़गढ़ की जनता का नरसंहार करने निर्देश दिया.
ऐतिहासिक उल्लेख – Rawal Ratan Singh Biography in Hindi
अमिर खुसरो अलाउद्दीन खिलजी के साथ चित्तौरगढ़ की चढ़ाई में था. लेकिन उन्होंने एक इतिहास लेखक की स्थिति से न तो तारीखें बताई हैं और ना ही सहृदय कवि के रूप में अलाउद्दीन के बेटे के बारे में कहीं संकेत दिया है. वहीं परवर्ती फारसी इतिहास के लेखकों ने भी इस बारे में कुछ नहीं लिखा है. चित्तौड़ की चढ़ाई के करीब 300 साल बाद सन् 1303 ई. में सिर्फ फरिश्ता में इसका उल्लेख मिलता है.
जायसीकृत पद्मावत की रचना के 70 वर्ष बाद सन् 1610 में पद्मावत के आधार पर इस पूरे घटनाक्रम का उल्लेख किया. लेकिन तथ्य की दृष्टि से इसे विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है. गौरीशंकर हीराचंद ओझा के अनुसार पद्मावत टाड और तारीखे फरिश्ता के संकलनों में सिर्फ यही तथ्य दिया गया है कि चढ़ाई और घेरेबंदी के बाद अलाउद्दीन ने चित्तोड़ को विजित किया था. चित्तौड़ के राजा मारे गए और उनकी रानी पद्मिनी ने राजपूत रमणियों के साथ जौहर की अग्नि में आत्मदाह कर लिया था.