Kanhaiya Kumar Biography in Hindi: कन्हैया कुमार जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र यूनियन के पूर्व प्रेसिडेंट और आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के नेता भी हैं. यह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया का स्टूडेंट विंग है. इनका नाम तब चर्चा में आया था जब साल 2016 में राष्ट्रविरोधी नारे लगाते हुए रैली निकालने के आरोप में इन पर देशद्रोह का मामला किया गया था.
जन्म और परिवार – Kanhaiya Kumar Biography in Hindi
कन्हैया का जन्म बिहार के बेगुसराय जिला स्थित एक गांव में साल 1987 में हुआ था. इनका जन्म एक ऊंची जाति में हुआ है और इनका गांव तेगड़ा विधायी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है. इस गांव को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) का गढ़ माना जाता है. इनके पिता का नाम जयशंकर सिंह करीब एक एकड़ खेत के मालिक हैं.
पैरालिसिस होने की वजह से ये काफी समय से बिस्तर पर हैं. इनकी मां मीना देवी जो एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं. कन्हैया कुमार के एक बड़े भाई मानिकांत जो असम की एक कंपनी में सुपरवाइजर के तौर पर काम करते हैं. इनका परिवार शुरू से ही सीपीआई के समर्थक रहे हैं.
शिक्षा और राजनीति में कदम – Kanhaiya Kumar Biography in Hindi
कन्हैया ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई बरौनी के आरकेसी हाई स्कूल से की. इससे पहले वे मध्यविद्यालय मसनदपुर से छठी तक की पढ़ाई की थी. अभिनय और राजनीति में इनकी रूचि बचपन से ही थी. अपने स्कूल के दिनों में ही कन्हैया आईपीटीए (इंडियन पीपल्स थियेटर एसोसिएशन) द्वारा आयोजित होने वाले कई नाटकों में भाग लिया था. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद कन्हैया कुमार ने मोकामा में राम रतन सिंह कॉलेज में एडमिशन लिया. हायर सेकेंडरी की पढ़ाई साइंस से करने के बाद अपनी स्नातक की पढ़ाई के दौरान साल 2002 में ही वे राजनीति में आ गए.
वर्ष 2008 में वे ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआईएसएफ) को ज्वाइन किया. पटना में नालंदा विश्वविद्यालय से एमए करने के बाद साल 2011 में अफ्रीकी अध्ययन में पीएचडी करने के लिए उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में दाखिला लिया. जेएनयू की प्रवेश परीक्षा में उन्होंने प्रथम स्थान हासिल किया था.
राजनीति में सक्रियता – Kanhaiya Kumar Biography in Hindi
साल 2015 में कन्हैया कुमार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए. ये एक तेज-तर्रार और कुशल वक्ता भी हैं. कन्हैया जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन के ऐसे पहले सदस्य हैं, जिन्होंने ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया और नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया के तमाम उम्मीदवारों को हराया था. चुनाव के एक दिन पहले दी गई स्पीच ही कन्हैया के चुनाव जीतने का कारण मानी जाती है.
साल 2018 में इन्हें भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (सीपीआई) में शामिल किया गया. जिसके बाद वर्ष 2019 में 17वीं लोकसभा चुनाव में कन्हैया बिहार के बेगुसराय लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव भी लड़े. हालांकि इन्हें विपक्षी पार्टी भाजपा के उम्मीदवार गिरिराज सिंह से हार का सामना करना पड़ा.
विवादों में कन्हैया – Kanhaiya Kumar Biography in Hindi
9 फरवरी 2016 को कन्हैया कुमार के नेतृत्व में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ और ‘अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं’ के नारे लगाने के आरोप लगे थे. राष्ट्रविरोधी नारे लगाने के मामले में दिल्ली पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया था. कन्हैया ने साल 2013 में एक रैली में फांसी पर चढ़ाए गए मोहम्मद अफजल गुरु को प्रोटेस्ट किया था. वही अफजल गुरु जिसने साल 2001 में पार्लियामेंट पर हमले में शामिल था.
हालांकि पर्याप्त सबूतों के अभाव में 2 मार्च 2016 को इन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया. देशविरोधी नारे लगाने के मामले में जेएनयू के कुलपति द्वारा गठित एक अनुशासन समिति भी इस विवादास्पद घटना की जांच कर रही है. प्राथमिक जांच रिपोर्ट के आधार पर कन्हैया कुमार समेत 8 छात्रों को अकादमिक तौर पर वंचित किया गया था. विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कन्हैया कुमार का जमकर विरोध किया था.
कन्हैया के ऊपर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा था। इस घटना के बाद कन्हैया की पूरे देश में जमकर आलोचना हुई थी. कन्हैया के खिलाफ विरोधी पार्टियों के साथ आम जनता का भी गुस्सा चरम पर था. यही वजह है कि इस मामले के बाद कन्हैया जब भी कहीं राजनीतिक मंच पर जाते थे, उनके ऊपर लोगों ने हमले करने शुरू कर देते थे. ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ था. कन्हैया कुमार की एक किताब छपी है जिसका नाम ‘बिहार टू तिहार’ है.
कन्हैया का एक भाषण – Kanhaiya Kumar Biography in Hindi
सीपीआई नेता कन्हैया कुमार का कहना है कि देश में जनता के संवैधानिक अधिकारों को उनसे छीनने की कोशिश हो रही है. जाति और धर्म के नाम पर हम देश को कभी बंटने नहीं देंगे. कन्हैया का कहना है कि उनकी लड़ाई राजनीतिक नहीं बल्कि नैतिकता की लड़ाई है. देश में नीतिगत बदलाव हो रहा है. यहां सभी धर्म के लोगों को रहने का अधिकार है. एनआरसी व सीएए कानून आम जनता के हित में नहीं है. नौकरियां ठेके पर दी जा रही हैं। शिक्षकों को सरकार समान काम के बदले समान वेतन नहीं दे रही.