महादेवी वर्मा का नाम हिंदी की प्रतिभावान कवियित्रियों में जाना जाता है और इन्हें आधुनिक मीरा भी कहते हैं. इतना ही नहीं, वह भारत की 50 सबसे यशस्वी महिलाओं में भी शामिल हैं. महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य में छायावादी युग के मुख्य स्तम्भों में से एक हैं. इनके कार्य जीवन की शुरुआत अध्यापन से हुई थी. अंत समय तक वह प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या रहीं. कवियित्री और गद्य लेखिका महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma Biography in Hindi) साहित्य और संगीत में तो निपुण थी हीं, इसके अलावा वह एक कुशल चित्रकार, सृजनात्मक अनुवादक भी रहीं.
महादेवी वर्मा का परिवार – Mahadevi Verma Biography in Hindi
महादेवी वर्मा साल 1907 में यूपी के फर्रुखाबाद में एक संपन्न परिवार में जन्मी थीं. जानकारी है कि इस परिवार में करीब 200 वर्षों बाद महादेवी जी के रूप में पुत्री का जन्म हुआ था. घर में पुत्री आने से हर्षित होकर इनके बाबा गोविंद प्रसाद ने इन्हें घर की देवी मानते हुए महादेवी नाम रखा. इनकी माता हेमरानी देवी थीं. महादेवी शुरू से ही गंभीर व शांत स्वभाव की थीं.
करुण हृदय की महादेवी – Mahadevi Verma Biography in Hindi
महादेवी वर्मा शुरुआत के दिनों से ही करुण हृदय की थीं. उनका दिन पशु-पक्षियों के पालन-पोषण और उन्हीं के साथ खेल-कूद में बीत जाता था. बचपन से ही वह चित्रकारी की भी शौकीन थीं. उन्हें चित्रकारी का इतना शौक था कि उसे पूरा करने के लिए वो जमीन पर कोयले से ही चित्र बनाती थीं.
महादेवी वर्मा की शिक्षा – Mahadevi Verma Biography in Hindi
इनकी शिक्षा वर्ष 1912 में इंदौर के मिशन स्कूल से शुरू हुई थी. इसके अलावा उन्हें संस्कृत, अंग्रेजी, संगीत के साथ ही चित्रकला की शिक्षा अध्यापकों द्वारा घर पर ही मिलती थी. शादी की वजह से साल 1916 में उनकी शिक्षा कुछ दिनों के लिए स्थगित रही. शादी के बाद उन्होंने साल 1919 में बाई का बाग स्थित क्रास्थवेट कॉलेज इलाहाबाद में एडमिशन लिया. उनकी प्रतिभा का निखार यहीं से प्रारम्भ हो गया था. साल 1921 में महादेवी जी ने 8 वीं कक्षा में पूरे प्रान्त में प्रथम स्थान हासिल किया था. 7 साल की उम्र से ही इन्होंने कविता लिखना प्रारंभ कर दिया था. वर्ष 1925 में मैट्रिक की परीक्षा पास होने तक वह एक सफल कवियित्री के रूप में लोकप्रिय हो चुकी थीं.
बहुत सारी पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताओं का प्रकाशन होने लगा था. स्कूल में हिंदी अध्यापक से प्रभावित होकर महादेवी जी ब्रजभाषा में लिखने लगीं. इसके बाद तत्कालीन खड़ीबोली की कविता से भी वह प्रभावित हुई. जिसके बाद खड़ीबोली में रोला और हरिगीतिका छंदों में काव्य लिखा शुरू कर दिया. वो प्रतिभा की इतनी धनी थीं कि माँ से सुनी एक करुण कथा पर भी सौ छंदों वाला एक खंडकाव्य लिख दिया था. विद्यार्थी रहते हुए वे ज्यादातर राष्ट्रीय और सामाजिक जागरूकता संबंधी कविताएं लिखा करती थीं. महादेवी जी के प्रथम काव्य संग्रह ‘निहार’ के अधिकांश कविताएं उनके स्कूल लाइफ के दौरान की ही हैं.
कार्यक्षेत्र व रचनाएं – Mahadevi Verma Biography in Hindi
इलाहाबाद में प्रयाग महिला विद्यापीठ के विकास में महादेवी जी का अहम योगदान रहा है. उस समय में ऐसा कार्य महिला-शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम था. वे इसकी प्रधानाचार्य और कुलपति भी थीं. वर्ष 1923 में उन्हें महिलाओं की प्रमुख पत्रिका ‘चाँद’ का कार्यभार मिला था. साल 1930 में निहार, 1932 में रश्मि, 1934 में नीरजा और 1936 सांध्यगीत ये चार संग्रह प्रकाशित किये गए थे. काव्य, गद्य, शिक्षा के साथ ही चित्रकला के क्षेत्र में भी उन्होंने नया आयाम स्थापित किया था. उनकी 18 काव्य और गद्य कृतियां हैं. भारत में महिला कवि सम्मलेन की नींव इन्होंने ही रखी थी.
स्वतंत्रता संग्रामी भी रहीं – Mahadevi Verma Biography in Hindi
महात्मा गांधी के प्रभाव से महादेवी ने जनसेवा का व्रत लिया था. इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया था. साल 1936 नैनीताल से 25 किलोमीटर दूर उमागढ़ ग्राम में मीरा मंदिर नमक एक बंगला बनवाया था. अब तो यह बंगला महादेवी साहित्य संग्रहालय के नाम से प्रसिद्ध है. यहां से वे गाँव की शिक्षा और विकास के लिए काम करती थी. खासकर महिलाओं की शिक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए उन्होंने एक नहीं बल्कि बहुत काम किए थे. इस जनसेवा के लिए उन्हें समाज-सुधारक भी कहा गया.
पुरस्कार व सम्मान – Mahadevi Verma Biography in Hindi
उनकी कविता संग्रह ‘यामा’ के लिए महादेवी वर्मा भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित हुई थीं. काव्य कार्यों के लिए इन्हें ‘सेक्सेरिया पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था. जबकि भारत सरकार ने इन्हें 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था. साहित्य अकादमी की फेलो बनने वाली पहली महिला महादेवी वर्मा ही थी. इनकी इनकी मृत्यु 11 सितंबर 1987 को हुई.