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प्रेरणा स्रोत हैं विवेकानंद के विचार – Swami Vivekanand Life In Hindi

स्वामी विवेकानंद ने ही भारत की सभ्यता, संस्कृति और आध्यात्म को विश्व स्तर तक पहुंचाया था. अमेरिका के शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी जी (Swami Vivekanand Life In Hindi) ने ही हिंदू धर्म के महान विचारों से समस्त विश्व को प्रभावित किया था. इन्होंने वेद, उपनिषद् व भगवद् गीता जैसे हिन्दू शास्त्रों का गहन अध्ययन किया था. महान विचारों के स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस थे.

12 जनवरी 1863 को जन्में स्वामी जी के बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था. वे बचपन से ही तेज बुद्धि के थे. इनके पिता कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रतिष्ठित वकील थे. उनके दादा संस्कृत और फारसी के विद्वान थे. इसलिए उन्हें घर में ही पठन-पाठन का बेहतर माहौल मिला. इनकी स्कूली शिक्षा 8 वर्ष की उम्र में शुरू हुई थी. स्वामी जी एक ऐसे समाज की स्थापना करना चाहते थे जिसमें किसी भी मनुष्य में जाति और धर्म को लेकर कोई भेदभाव ना रहे. इनके जन्मदिन को देशभर में युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है.

25 वर्ष की उम्र में घर छोड़ बने सन्यासी – Swami Vivekanand Life In Hindi

विवेकानंद की माँ एक धार्मिक विचारों वाली महिला थीं और अधिकांश समय वो भगवान शिव की पूजा में ही लगी रहती थीं. परिवार के धार्मिक और विकासशील सोच स्वामीजी के व्यक्तित्व में साफ दिखाई देता है. ईश्वर के साथ उनका इतना गहरा लगाव हो गया था कि वे भगवान के बारे में हर चीज जानना चाहते और उन्हें पाना भी चाहते थे. ईश्वर की साधना में मग्न रहते-रहते मात्र 25 वर्ष की उम्र में ही घर छोड़ कर संन्यासी बन गए.

विश्व धर्म सम्मेलन में विद्वानों को किया चकित – Swami Vivekanand Life In Hindi

साल 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म सम्मेलन का आयोजन हुआ था. जिसमें स्वामी जी ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था. उस दौर में यूरोप और अमेरिका के लोग भारतीयों को हीन भावना से देखते थे. पहले तो वहां के लोगों ने बहुत कोशिश किया कि स्वामी जी को इस सम्मलेन में बोलने का अवसर ही ना मिले. लेकिन एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयत्न से ही उन्हें बोलने के लिए किसी तरह थोड़ा-सा समय दिया गया. इस थोड़े से समय में ही उन्होंने जो विचार रखा उसे सुनकर सम्मलेन में उपस्थित विद्वान चकित रह गए. इसके बाद तो अमेरिका में उनका भव्य स्वागत किया गया और वहां इनके भक्तों की बड़ी टीम बन गई. तीन वर्ष तक अमेरिका में रहते हुए वे भारतीय तत्वज्ञान का प्रसार करते रहे.

स्वामी विवेकानंदजी का दृढ़ विश्वास था कि ‘अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना सारा विश्व मानो अनाथ हो जायेगा. इन्होंने अमेरिका में रामकृष्ण मिशन की एक नहीं बल्कि कई शाखाएं स्थापित कीं. यहां तक कि बहुत सारे अमेरिकन विद्वान भी स्वामी जी के शिष्य बने. स्वामी जी का हमेशा यही प्रयत्न रहा कि भारत के गौरव को देश-विदेश में उज्ज्वल करते रहें. 4 जुलाई 1902 को स्वामी जी ने महासमाधि धारण कर प्राण त्याग दिए थे.

विश्व धर्म सम्मेलन में विद्वानों को किया चकित – Swami Vivekanand Life In Hindi

स्वामी विवेकानन्द के विचार – Swami Vivekanand Life In Hindi

1. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए!

2. किसी दिन जब आपके सामने कोई समस्या ना आए, आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं.

3. जो तुम सोचते हो वही हो जाओगे. यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो तो तुम कमजोर हो जाओगे, अगर खुद को ताकतवर सोचते हो तो तुम ताकतवर हो जाओगे.

4. एक समय में एक ही काम करो और ऐसा करते समय बाकी सब कुछ भूल कर अपनी पूरी आत्मा उस काम में डाल दो.

5. व्यक्ति का सबसे बड़ा धर्म है, अपने स्वभाव के प्रति सच्चा होना. खुद पर विश्वास करो.

6. ब्रह्मांड की तमाम शक्तियां पहले से हमारी हैं. हम हीं हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है.

7. हम वही हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है. इसलिए ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं. वे दूर तक यात्रा करते हैं.

8. एक विचार लो और उस विचार को अपना जीवन बना लो. उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो और उसी विचार को जियो. अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो. सफल होने का तरीका यही है.

9. बस वही जीते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं.

10. तुम फुटबॉल के जरिए स्वर्ग के ज्यादा निकट होगे बजाए गीता का अध्ययन करने के.

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