जन्म और आरंभिक जीवन – Guru Nanak Dev Ji Biography in Hindi
गुरु नानक देव जी का जन्म एक खत्रीकुल में पाकिस्तान (पंजाब) के रावी नदी किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव में कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था. तलवंडी जो लाहौर पाकिस्तान से 65 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है. कुछ विद्वानों का मत है कि इनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन, 15 अप्रैल 1469 को हुआ था. इनके जन्म दिवस को सिख धर्म में गुरु पर्व के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
इनके पिता का नाम कालूचंद बेदी व माता का नाम तृप्ता देवी था. नानक देव की बहन का नाम नानकी था. आगे चलकर तलवंडी का नाम नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया. इनके पिता गांव में स्थानीय राजस्व प्रशासन अधिकारी थे.
16 साल की उम्र में वर्ष 1487 में इनका विवाह सुलक्खनी के हुआ. सुलक्खनी पंजाब के (भारत) गुरदासपुर जिला स्थित लाखौकी की रहने वाली थी और इनके इनके दो पुत्र श्रीचंद और लख्मी चंद थे. इनके पहले पुत्र का जन्म साल 1491 में और दूसरे का जन्म 1496 में हुआ था.
गुरु नानक देव जी की शिक्षा – Guru Nanak Dev Ji Biography in Hindi
पढ़ने-लिखने में नानक देव जी का मन नहीं लगता था. लड़कपन से ही ये सांसारिक विषयों से उदासीन रहते थे. नानक देव ने अपने बाल्यकाल में कई प्रादेशिक भाषाएं जैसे फारसी और अरबी सिखी. महज 8 साल की उम्र में ही इन्होंने स्कूल छोड़ दी थी. इसका कारण था कि भगवत्प्राप्ति से संबंधित प्रश्न पर अध्यापक ने इनके आगे हार मान ली और उन्हें ससम्मान घर तक छोड़ गए.
बचपन में क्यूं थे सबसे अलग? – Guru Nanak Dev Ji Biography in Hindi
सिख धर्म के अनुसार, नानक देव बचपन से ही विशेष शक्तियों के धनी थे. इन्होंने अपनी बहन नानकी से काफी कुछ सीखा. स्कूल छोड़ने के बाद से नानकदेव का सारा समय सत्संग और आध्यात्मिक चिंतन में व्यतीत होने लगा. बचपन में कई चमत्कारी घटनाएं घटी, जिसे देखकर गांव वाले इन्हें दिव्य व्यक्तित्व मानने लगे.
छोटी उम्र से ही इनमें श्रद्धा रखने वालों में इनकी बहन नानकी तथा गांव के शासक राय बुलार प्रमुख थे. साल 1485 में अपने भैया और भाभी के कहने पर नानक देव ने दौलत खान लोधी के स्टोर में अधिकारी के रूप में नियुक्ति ली थी. दौलत खान लोधी जो कि सुल्तानपुर में मुसलमानों का शासक था. वहीं इनकी मुलाकात एक मुस्लिम कवि से हुई जिसका नाम मिरासी था.
लंबी यात्रा से लोगों को किया जागरूक – Guru Nanak Dev Ji Biography in Hindi
कैसे किया सिख धर्म की स्थापना
इन्होंने ही हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों के मूल और सर्वोत्तम विचारों को मिलाकर एक नए धर्म की स्थापना की, जिसे बाद में सिख धर्म के नाम से जाना जाने लगा. नानक देव हिन्दू-मुस्लिम एकता के कट्टर समर्थक थे. धार्मिक सद्भाव की स्थापना के लिए ही उन्होंने सभी तीर्थ स्थलों की यात्रा की. इन्होंने सभी धर्म के लोगों को अपना शिष्य बनाया.
भारत में अपने ज्ञान की ज्योति जलाने के बाद इन्होंने मक्का मदीना की यात्रा की. मक्का मदीना के निवासी भी इनसे काफी प्रभावित हुए. करीब 25 सालों के भ्रमण के पश्चात् नानक देव ने अपने जीवन का आखिरी समय करतारपुर में बिताया. यहीं रहकर इन्होंने लोगों को उपदेश देना आरंभ किया. इनकी वाणी आज भी ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में संग्रहित है। करतार सिखों का पवित्र स्थल माना जाता है.