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दिल्ली मेट्रो का इतिहास और कई दिलचस्प बातें!

देश की राजधानी दिल्ली…एक ऐसी जगह जहां सब कुछ है. राजनीति भी, चकाचौंध भी, आबादी भी, रोजगार भी, बाजार भी. आपको जो चाहिए वो आपको दिल्ली में मिल जाएगा. दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर भी अब दिल्ली के छोटे भाई के रूप में उसके साथ है. ये दो जगहें संसाधन की दृष्टि से अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं बेहतर है.

यही कारण है कि यहां 46 बिलियन से ज्यादा आबादी निवास करती है. इस आबादी को जीवनयापन के साथ-साथ यहां अन्य सुविधाएं भी मिली हुई हैं. इनमें से एक है मेट्रो. ये कहना गलत नहीं होगा कि मेट्रो दिल्ली-एनसीआर की जान है. दिल्ली मेट्रो है तो अपने आप में बहुत खास लेकिन सवाल ये है कि आखिर आप इसका इतिहास जानते हैं?

अगर आप नहीं जानते दिल्ली मेट्रो का इतिहास तो आप इस आर्टिकल को अंत तक पढ़िए. यकीनन आपको सबकुछ पता चल जाएगा. चलिए जानते हैं दिल्ली मेट्रो के इतिहास से जुड़ी अहम बातें:

ये रहा दिल्ली
मेट्रो का इतिहास

दिल्ली मेट्रो कब शुरू हुई ये सवाल सबके मन में होगा. जानकारी हो कि इसकी स्थापना 3 मई 1995 को हुई. स्थापना तो हो गयी अब बारी थी पहली मेट्रो चलने की तो वो दिन भी आया. दिल्ली मेट्रो की पहली ट्रेन 24 दिसंबर 2002 को 8.4 किलोमीटर लंबे शाहदरा-तीसहजारी कॉरीडोर पर चली. आपको जानकर हैरानी होगी कि बीते 25 सालों में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने 400 किलोमीटर लंबा नेटवर्क स्थापित कर लगभग 60 लाख लोगों के आवागमन को सुगम बनाया है.

एक और रिकॉर्ड है जो दिल्ली मेट्रो ने स्थापित किया है जिसके बारे में कम लोगों को ही जानकारी है. ये जानकारी 24 दिसंबर 2019 से जुड़ी है. DMRC की आधिकारिक जानकारी के मुताबिक 24 दिसंबर को दिल्ली मेट्रो के कई रूटों पर 5694461 लोगों ने सफर किया. ये संख्या अपने आप में बहुत ज्यादा है.

राजीव चौक मेट्रो स्टेशन

राजीव चौक मेट्रो स्टेशन एक ऐसा स्टेशन है जिसके बारे में हर दिल्ली-एनसीआर वाले को पता होगा. बहुत लोगों को लगता होगा कि इस मेट्रो स्टेशन का नाम पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर है लेकिन ये सच नहीं है. दरअसल इसका नाम राजीव गोस्वामी के नाम पर पड़ा है. अब आप पूछेंगे कि राजीव गोस्वामी आखिर कौन है. दरअसल राजीव गोस्वामी मंडल कमीशन की ओर से लाए गए नौकरी में आरक्षण के खिलाफ बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाला छात्र थे.

मेट्रो स्टेशन साफ सुथरा भी बहुत होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेट्रो स्टेशनों के अंदर कोई डस्टबिन नहीं होता. केवल कुछ एक दुकानों के बाहर या अंदर डस्टबिन होता है. इसके बावजूद मेट्रो स्टेशन चमचमाते हैं. इसके पीछे आम लोगों और मेट्रो कर्मचारियों का योगदान है.

दूरदर्शन के एंकरों की आवाजें

मेट्रो में यात्रा करते आपने घोषणा भी जरूर सुनी होगी. लेकिन आपको पता है कि इसमें आवाज किसकी होती है. ये आवाजें अपने जमाने के मशहूर दूरदर्शन के एंकरों की आवाजें हैं. अंग्रेजी में ‌रिनी सीमॉन नाम की एनाउंसर और हिंदी में शम्मी नारंग की आवाज आप मेट्रो में सुनते हैं.

आप ये नहीं जानते होंगे कि पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डीएमआरसी ने पूरे ब्लू लाइन पर बारिश के पानी का संरक्षण करने के लिए सिस्टम बनाया हुआ है. जहां भारतीय रेल का देरी का अपना रिकॉर्ड है वहीं दिल्ली मेट्रो का पंक्चुअलिटी का 99.7% रिकॉर्ड है. यह बहुत बड़ा रिकॉर्ड है.

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