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बप्पा रावल की जीवनी – Bappa Rawal Biography in Hindi

मेवाड़ी राजवंश के प्रतापी योद्धा का नाम बप्पा रावल था. भारत का कोई भी योद्धा वीरता में बप्पा रावल की बराबरी नहीं कर सकता. अरबों का शासन सिंध पर स्थापित होने के बाद बप्पा (Bappa Rawal Biography in Hindi) ने ही उन्हें ना सिर्फ पूर्व की ओर बढ़ने से रोका बल्कि कई बार उन्हें करारी हार भी दी थी. ये राजपूत वंश के 8वें शासक थे. बप्पा के बचपन का नाम राजकुमार कलभोज था.

जन्म – Bappa Rawal Biography in Hindi

इनका जन्म सन् 713 में हुआ था और इनकी परवरिश एक ब्राह्मण परिवार में हुई थी. शासक बनने के बाद बप्पा रावल ने अपने वंश का नहीं बल्कि मेवाड़ वंश के नाम से अपना नया राज्य चलाया. इन्होंने चित्तौड़ को अपनी राजधानी बना लिया. इस प्रतापी शासक बप्पा रावल को कालभोज भी कहा जाता था.

प्रजाहित और देशहित में उसके द्वारा किए गए कार्यों की वजह से ही जनता द्वारा इसे बप्पा की पदवी से विभूषित किया गया था. इस्लाम की स्थापना के कुछ ही दिनों बाद अरब के मुस्लिमों ने पहले पारस पर जीत हासिल की. इसके बाद इन लोगों ने भारत की तरफ बढ़ते हुए हमला करना शुरू कर दिया.

काफी वर्षों तक वे पराजित होते रहे लेकिन अंत में जब राजा दाहिर का कार्यकाल आया तो वे सिंध पर जीत हासिल कर लिए. अब निशाना भारत पर था लेकिन बप्पा रावल ने ऐसा होने नहीं दिया और वे एक मजबूत दीवार की तरह रास्ते में खड़े हो गए.

बप्पा ने जैसलमेर और अजमेर जैसे छोटे राज्यों के साथ मिलकर अपनी शक्ति बढ़ा ली. इन्होंने अरबों को एक बार नहीं बल्कि कई बार हराया. इस हार की वजह से वे सिंध के पश्चिमी तक तक ही रहने को बाध्य हो गए. यह स्थान अब बलूचिस्तान के नाम से प्रसिद्ध है.

इसके बाद बप्पा रावल ने गजनी पर आक्रमण करके वहां के शासक सलीम को परास्त किया. गजनी में अपना प्रतिनिधि नियुक्त करके वे चित्तौड़ वापस आ गए. अब चित्तौड़ के आस-पास के राज्यों पर कब्जा करके एक मजबूत साम्राज्य स्थापित करने के बाद इन्होंने अपने राज्य में गंधार, तूरान, ईरान, खुरासान के भी हिस्सों को शामिल कर लिया.

बप्पा बहुत ही शक्तिशाली शासक थे जिन्होंने अरबों को पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक खदेड़ा था. इनके सैन्य ठिकानों की वजह से ही पाकिस्तान के शहर का नाम रावलपिंडी दिया गया.

राज्यकाल – Bappa Rawal Biography in Hindi

बप्पा रावल का समय संवत 810 (सन 753) ई. बताया गया है. यह प्रमाण महाराणा कुंभा के समय में रचित एकलिंग महात्म्या में किसी प्राचीन ग्रंथ या प्रशस्ति से मिला है. जबकि एक दूसरे एकलिंग महात्म्या से जानकारी मिलती है कि यह समय बप्पा के राज्यत्याग का समय था.

इनका राज्यकाल अगर 30 वर्ष का रखा जाए तो वह सन् 723 के आस-पास गद्दी पर बैठा होगा. बप्पा से पहले मेवाड़ में उसके वंश के कुछ प्रतापी राजा भी हो चुके थे. जहां तक बप्पा की बात है तो उनका व्यक्तित्व सबसे अलग और बढ़कर था. उस वक्त चित्तौड़ के दुर्ग पर मोर्य वंश के राजाओं का शासन था.

कहा जाता है कि हारीत ऋषि की कृपा से ही बप्पा रावल ने मान मौर्य को मारकर इस दुर्रग पर हमला किया था. एक शिलालेख जिसमें राजा मान मौर्य का विक्रम संवत 770 (सन् 713 ई.) बताया गया है. इससे पता चलता है कि बप्पा और मान मौर्य के समय में कुछ ज्यादा अंतर नहीं है.

हारीत ऋषि के साथ संबंध – Bappa Rawal Biography in Hindi

बप्पा से संबंधित हारीत ऋषि की एक अद्भूत कथा है. कहते हैं कि बप्पा जिन गायों को चराते थे उसमें से एक गाय बाकियों से अधिक दूध देती थी. शाम को जंगल से लौटने के बाद गाय के थनों में दूध नहीं रहती थी. अब इस रहस्य को जानने के लिए बप्पा गाय के पीछे-पीछे जंगल की ओर चल दिए. गाय निर्जन कंदरा जाकर हारीत ऋषि के यहां दूध से शिवलिंग अभिषेक करने लगी. यह देखते ही बप्पा हारीत ऋषि की सेवा करने लगे और उन्हीं के आर्शीवाद से वे मेवाड़ के राजा बन पाए.bsp;
जब अरबों ने किया आक्रमण – Bappa Rawal Biography in Hindi

अरबों के साथ सफल युद्ध के बाद ही बप्पा रावल को विशेष प्रसिद्धि मिली थी. इन्होंने मोहम्मद बीन कासिम से सन् 712 में सिंधु को जीता था. इसके बाद ही अरबों ने चारों तरफ हमला करना शुरू कर दिया. इन लोगों ने मौर्यों, चावड़ों, सैंधवों, कच्छेल्लोंश व गुर्जरों को भी बुरी तरह परास्त किया था.

मेवाड़, मारवाड़, मालवा और गुजरात आदि स्थानों में इनकी सेनाएं जाल की तरह फैल गए. राजस्थान के महान व्यक्तित्व बप्पा रावल और सम्राट नागभट्ट प्रथम ने अरबों को मारक भगाया. एक तरफ जहां नागभट्ट प्रथम ने अरबों को पश्चिमी राजस्थान एवं मालवा से खदेड़ा वहीं दूसरी ओर बप्पा ने मेवाड़ समेत उसके आस-पास के क्षेत्रों से उसे मार भगाया.

अंदाजा लगाया जाता है कि मौर्य शायद इस अरब आक्रमण से ही जर्जर हालत में आ गए थे. लेकिन जो कार्य मौर्य नहीं कर पाए वह कार्य बप्पा रावल ने किया. इन्होंने चित्तौड़ पर भी हक जमा लिया. बप्पा रावल के मुस्लिम देशों पर जीत की कई सारी दंतकथाएं भी प्रचलित हैं.

न्यायप्रिय शासक – Bappa Rawal Biography in Hindi

बप्पा एक न्यायप्रिय शासक, जो राज्य को अपना नहीं बल्कि शिवजी के एक रूप ‘एकलिंग जी’ को ही असली शासक मानते थे. स्वयं वे ‘एकलिंग जी’ के प्रतिनिधि के रूप में राज्य चलाते थे. करीब 20 सालों तक शासन करने के बाद बप्पा ने वैराग्य ले लिया. अपना राज्य पुत्र को सौंप कर और शिव की उपासना में लीन हो गए. इनके ही वंश में महाराणा संग्राम सिंह, उदय सिंह और महाराणा प्रताप जैसे वीर शासक उत्पन्न हुए.

बप्पा के सिक्के – Bappa Rawal Biography in Hindi

गौरीशंकर हीराचंद के अनुसार ओझा अजमेर के सोने के सिक्के बप्पा रावल के हैं. सिक्के का वजन 115 ग्रेन है, जिसमें सामने की ओर ऊपर के हिस्से में माला के नीचे श्री बोप्प लेख है. इसके बाईं ओर त्रिशूल व दाहिनी तरफ वेदी का शिवलिंग बना है और इसी तरफ नंदी शिवलिंग की ओर मुख करके बैठा है.

जबकि शिवलिंग और नंदी के नीचे दंडवत् अवस्था में एक व्यक्ति की आकृति है. अब सिक्के के विपरीत तरफ सूर्य, छत्र और चमर के चिन्ह हैं. इस चिन्ह के नीचे दाहिनी तरफ मुख किए एक गाय खड़ी है, पास में दूध पीता बछड़ा भी है. ये तमाम चिन्ह बप्पा की शिवभक्ति और उसके जीवन से जुड़ी घटनाओं को दर्शाता है.

मृत्यु – Bappa Rawal Biography in Hindi

बप्पा रावल ने 97 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कर दिया.