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बाईचुंग भुटिया का जीवन परिचय – Baichung Bhutia Biography in Hindi

Baichung Bhutia Biography in Hindi: बाईचुंग भुटिया भारत के जाने-माने फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक हैं. भारतीय फुटबॉल टीम को इन्होंने दुनिया में एक अलग ही पहचान दिलाई है. बाइचुंग भूटिया ने सबसे पहले 11 वर्ष की उम्र में ताशी नांगियाल एकेडमी गंगटोक में भाग लेने के लिए साई स्कालरशिप जीता था. इनकी शिक्षा ताशी नांगियाल से ही पूरी हुई है. ये बचपन से ही सिक्किम में कई स्कूल व क्लबों में प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया करते थे.

साल 1991 में सुब्रतों कप में इनके प्रदर्शन ने इन्हें प्रकाश में लाया था. यहीं से उन्हें आगे बढ़ने का मौका मिला. इस खेल में बाइचुंग भुटिया सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किए गए थे. इनके खेलने के स्तर का पता तभी चल गया था जब वह उन्होंने साल 1991 में ‘सिक्किम गवर्नर कोल्ड कप टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था. क्योंकि तब ये मात्र 17 साल के थे और इन्होंने पुरुषों की प्रतियोगिता में भाग लिया था.

जन्म और शुरुआती जीवन – Baichung Bhutia Biography in Hindi

इनका जन्म 15 दिसंबर 1976 को सिक्किम के एक छोटे से गांव तिनकिताम में हुआ था. इनके दो भाई हैं जिनका नाम चेवांग भुटिया और बोम-बोम भुटिया है. इनकी एक बहन भी है जिसका नाम कैली भुटिया है. फुटबॉल के अलावा अन्य खेलों में भी इनकी रूचि थी. तभी तो अपने स्कूली जीवन में बैडमिंटन बास्केटबॉल व एथलिट के रूप में स्कूल का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं. इनके पिता पेशे से एक किसान थे.

भुटिया महज 9 साल की उम्र में ही गंगटोक में ताशी नामग्याल अकादमी में भाग लेने के लिए एक भारतीय खेल प्राधिकरण से फुटबॉल छात्रवृत्ति जीती थी. इसके बाद वे अपने सिक्किम में कई सारे स्कूल और स्थानीय लोगों के लिए खेलने लगे. वर्ष 1992 के सुब्रतो कप में बेहतर प्रदर्शन के कारण उन्हें “बेस्ट प्लेयर” का पुरस्कार भी मिला था. इनकी शादी साल 2004 में हुई लेकिन किसी कारणवश वर्ष 2015 में उनका तलाक भी हो गया. बाइचुंग ने हाल ही में “हमारो सिक्किम पार्टी” की भी स्थापना की है.

करियर – Baichung Bhutia Biography in Hindi

साल 1993 में इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा छोड़कर कलकत्ता के ईस्ट बंगाल फुटबॉल क्लब में शामिल हो गए थे. साल 1996 में भुटिया को भारतीय प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब मिला था. प्रोफेशनल फुटबॉल के लिए उन्होंने वर्ष 1999 में यूरोप का रूख किया. करीब 3 सालों तक विदेशी क्लबों में खेलने के बाद वे वापस भारत लौट आए. उन्होंने मुख्यतः मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के साथ मैच खेले हैं.

बाइचुंग भुटिया भारतीय फुटबॉल टीम के सबसे प्रसिद्ध फुटबॉलर हैं और इन्हें भारतीय फुटबॉल टीम को विश्व भर में अलग पहचान दिलाने के लिए जाना जाता है. फुटबॉल में शूटिंग कौशल के कारण उन्हें सिक्किमी स्नैप्पर नाम दिया गया है. वहीं भारतीय खिलाड़ी आईएम विजयन ने भूटिया को भारतीय फुटबॉल के लिए भगवान का उपहार बताया है.

बाईचुंग भुटिया ने अपने करियर की शुरुआत आई-लीग फुटबॉल टीम ईस्ट बंगाल क्लब से किया था. साल 1999 में वे इंग्लिश क्लब भरी में शामिल हुए. यूरोपीय क्लब के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वाले पहले भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी भुटिया ही बनें. उन्होंने मलेशिया फुटबॉल क्लब पैराक के लिए भी खेला था. बाइचुंग भुटिया ने कई सारे फुटबॉल टूर्नामेंट भी जीते हैं.

मैदान के बाहर उन्होंने टेलीविजन कार्यक्रम झलक दिखला जा में भी हिस्सा लिया और इसमें उन्हें जीत भी मिली थी. भारतीय फुटबॉल में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उनके सम्मान में भूटिया नाम पर फुटबॉल स्टेडियन भी है. बाइचुंग अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री जैसे पुरस्कार से भी नवाजे जा चुके हैं.

साल 2010 में उन्होंने दिल्ली में बाइचुंग भुटिया फुटबॉल स्कूल की स्थापना की है. वर्ष 2011 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की थी. जबकि उनका विदाई मैच 10 जनवरी 2012 को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में था.

विदेशी टीम में खेलना – Baichung Bhutia Biography in Hindi

इन्हें विदेशों में खेलने के लिए कई सारे आमंत्रण मिले थे. 30 सितंबर 1999 को उन्होंने इंग्लैंड के ग्रेटर मैनचेस्टर में बरी के लिए खेलने विदेश गए थे. जिसके फलस्वरूप वे मोहम्मद सलीम के बाद व यूरोप में पेशेवर रूप से खेलने वाले दूसरे भारतीय फुटबाल खिलाड़ी बन गए.

इंग्लैंड की क्लब के साथ उनका 3 साल का करार हुआ था. साथ ही वे किसी भी विदेशी क्लब के लिए खेलने वाले पहले भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी भी बन गए थे. अपना पहला मैच उन्होंने कार्डिफ सिटी के खिलाफ 3 अक्टूबर 1999 में खेला था.

भुटिया ने विदेशी क्लब के लिए खेलते हुए पहला गोल 15 अप्रैल 2000 को गोल चेस्टरफील्ड के खिलाफ इंग्लिश लीग में दागा था. इसके बाद घुटने में चोट लगने के बाद उन्होंने इतना ज्यादा मैच भी नहीं खेला.

वर्ष 2002 में वापस भारत लौटने के बाद उन्होंने 1 साल तक मोहन बागान के लिए खेला. हालांकि इनका शुरुआती सीजन उतना अच्छा नहीं रहा क्योंकि सीजन के शुरुआत में ही वे घायल हो गए थे. इसके कुछ दिनों बाद वे ईस्ट बंगाल क्लब के लिए खेलने लगे. इसके बाद उन्हें ईस्ट बंगाल और मोहन बागान के बीच स्थानीय डर्बी मैं पहली हैट्रिक लगाने का गौरव प्राप्त हुआ था.