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माधवराव पेशवा का जीवन परिचय – Madhav Rao Peshwa Biography in Hindi

माधवराव पेशवा पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की भयानक हार के बाद पेशवा बना था. माधवराव का चरित्र बहुत ही धार्मिक, निष्कपट, कर्तव्यनिष्ठ और जनकल्याण की भावना से ओत-प्रोत था. ये बचपन से ही प्रतिभाशाली थे और यही वजह है कि वे एक सफल राजनीतिज्ञ, कुशल व्यवस्थापक और दक्ष सेनानी भी रह चुके हैं. माधवराव (Madhav Rao Peshwa Biography in Hindi) के अंदर बालाजी विश्वनाथ की दूरदर्शिता, बाजीराव की संलग्नता व नेतृत्वशक्ति के अलावा पिता की क्षमता भी भरपूर थी. शासकीय आदर्शों की बात करें तो वह तीनों में श्रेष्ठ थे.

पानीपत की पराजय से बुरी तरह पीड़ित माधवराव का शासनकाल 11 वर्ष का था. जिसमें से 2 वर्ष उनका गृह युद्ध में बीता और अंतिम वर्ष यक्ष्मा जैसे घातक रोग का सामना करते हुए व्यतीत हो गया. वे मात्र 8 वर्ष ही स्वतंत्र रूप से सक्रिय रहे. इन 8 वर्षों में माधवराव ने अपने साम्राज्य का विस्तार किया और अपनी शासन व्यवस्था को सुसंगठित किया. यही कारण है कि मराठा साम्राज्य के इतिहास में माधवराव को सबसे महान पेशवा कहा जाता है.

जन्म और प्रारंभिक जीवन – Madhav Rao Peshwa Biography in Hindi

माधवराव पेशवा का जन्म 1761 ई. में हुआ था और इनके पिता का नाम बालाजी बाजीराव था. माधवराव इनके ज्येष्ठ पुत्र थे. माधवराव ने सिर्फ 16 वर्ष की उम्र में ही पेशवा पद ग्रहण किया था. पेशवा बनने के बाद शुरू के दिनों में माधवराव के चाचा रघुनाथ राव ही उसकी ओर से शासन करते थे. लेकिन उन्होंने बहुत जल्द शासनसूत्र अपने हाथों में ले लिया. अपने शासनकाल में उन्होंने पानीपत की हार के फलस्वरूप पेशवा की खोई सत्ता और प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित कर दिया. निजाम को दो बार हार का सामना करना पड़ा. उसने पेशवा की शक्ति को तोड़ने का हर संभव प्रयत्न किया था लेकिन उसे असफलता ही हाथ लगी.

एक कुशल शासक के रूप में – Madhav Rao Peshwa Biography in Hindi

माधवराव पेशवा ने बहुत छोटी उम्र में अपना पदभार संभाला था. उसकी अल्पावस्था का फायदा उठाने के उद्देश्य से निजाम ने महाराष्ट्र पर हमला बोल दिया. अब माधवराव के स्वार्थी चाचा रघुनाथराव ने उसे अपने अधीन रखने के उद्देश्य से मराठों के कट्टर शत्रु निजाम के साथ गठबंधन कर लिया. रघुनाथराव ने निजाम के साथ मिलकर माधवराव को आलेगांव में परास्त कर 12 नवंबर 1762 में उसे बंदी बना लिया लेकिन माधवराव का विरोध में वह असफल रहा.

इसके बाद माधवराव पेशवा (Madhav Rao Peshwa Biography in Hindi) ने साल 1763 में राक्षसभुवन में निजाम को पूरी तरह परास्त किया. युद्ध क्षेत्र से लौटते ही माधवराव ने अपने चाचा के प्रभुत्व से अपने आप को मुक्त किया. हैदरअली जिसके शौर्य से अंग्रेज सेनानायक भी आतंतिक हुए थे. माधवराव ने उसे भी चार अभियानों में परास्त किया था. पानीपत युद्ध से पहले की तरह ही मराठा साम्राज्य भारत में फिर से सर्वशक्तिशाली प्रमाणित हुआ था.

माधव राव के जीवन से संबंधित कुछ रोचक बातें – Madhav Rao Peshwa Biography in Hindi

  1. साल 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठा साम्राज्य को बड़ी नुकसान का सामना करना पड़ा.
  2. माधवराव के बड़े भाई विश्वासराव की मृत्यु पानीपत की तीसरी लड़ाई में चचेरे भाई के हाथों हुई थी.
  3. मराठा साम्राज्य और निजाम के बीच शुरुआती युद्ध में माधवराव अपने चाचा रघुनाथराव के साथ संघर्ष कर रहे थे. तब माधवराव पेशवा और रघुनाथराव राजसी थे.
  4. साल 1764 में माधवराव ने मैसूर साम्राज्य पर जीत हासिल कर हैदर अली सुल्तान को पराजित किया था.
  5. ब्रिटिश अधिकारी मास्टिन ने 3 दिसंबर 1767 को पुणे जाकर माधवराव के साथ मुलाकात की थी. जिसमें अंग्रेजों ने यहां अपनी सेना स्थापित करने की मांग रखी थी लेकिन माधवराव ने उन्हें अनुमति नहीं दी.
  6. 7 सितंबर 1769 को पुणे के पर्वती मंदिर से लौटते वक्त उनके चाचा ने माधवराव की हत्या करने की कोशिश की थी. लेकिन इस घटना में वे बाल-बाल बच गए थे.
कुछ और बिन्दुओं को देखें:
  1. साल 1770 में माधवराव तीसरी बार हैदर अली को हराने की तैयारी में थे. लेकिन उस समय वे तपेदिक की बीमारी से पीड़ित थे. इसलिए वे अपने महल में वापस आ गए और 18 नवंबर 1772 में गणेश चिंतामणि मंदिर में उनका निधन हो गया.
  2. माधवराव को सबसे बड़ी सफलता उत्तरी भारत में मिली, जब साल 1771-72 ई. में उनकी सेना ने मालवा और बुंदेलखंड पर फिर से अधिकार जमा लिया था.
  3. माधवराव पेशवा की मृत्यु के बाद 18वीं सदी के अंतिम तीन वर्षों के इतिहास में महादजी सिंधिया व नाना फडनवीस का वर्णन मिलता है. जिसमें से महादजी उत्तर भारत और नान फडनवीस दक्षिण भारत में प्रभावशाली रहे.
  4. धीरे-धीरे मराठा पेशवा सिर्फ नाममात्र का अधिकारी रह गया. और मराठा नेताओं में अपनी-अपनी शक्ति के लिए संघर्ष भी जारी रहा. इस आपसी संघर्ष का पूरा लाभ अंग्रेजों ने ही उठाया.
  5. हिंदी फिल्म पानीपत में अभिनेता अब्दुल कादिर अमीन ने माधवराव पेशवा का रोल अदा किया है.
पेशवा की मृत्यु – Madhav Rao Peshwa Biography in Hindi
माधवराव पेशवा की मृत्यु साल 1772 में हुई थी. तब उनकी उम्र सिर्फ 27 साल थी. लेकिन माधवराव की असमय मौत महाराष्ट्र के लिए पानीपत की पराजय जितना ही घातक सिद्ध हुआ. इनकी मृत्यु के बाद महाराष्ट्र साम्राज्य पतन की ओर बढ़ता गया. सती प्रथा के दौरान साल 1772 में ही उनकी पत्नी का भी निधन हो गया.