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हर्षद मेहता की जीवनी – Harshad Mehta Biography in Hindi

हर्षद मेहता – Harshad Mehta Biography in Hindi भारत के शेयर बाजार के जाने-माने दलाल थे. उन्हें द बिग बुल के नाम से भी जाना जाता था. शेयर बाजार पर इनकी इतनी ज्यादा पकड़ थी कि उन्होंने पूरे शेयर बाजार को हिला कर रखा था. अपनी तेज बुद्धि के कारण ही उन्होंने शेयर मार्केट में खूब धूम मचाई और जमकर पैसा भी कमाया. देखते ही देखते बहुत जल्द वे शेयर मार्केट के बेताज बादशाह बन गए. आइए जानते हैं उनके जीवन के बारे में!

जन्म – Harshad Mehta Biography in Hindi

इनका जन्म 29 जुलाई 1954 को राजकोट के पानेली मोलती में एक गुजराती जैन परिवार में हुआ. इनका पूरा नाम हर्षत शांतिलाल मेहता था. इनके पिता का नाम शांतिलाल मेहता और माता का नाम रसीलाबेन मेहता है. हर्षद मेहता के जन्म के बाद उनका परिवार मध्य प्रदेश में शिफ्ट हो गया. इनके पिता का मुंबई के कांदीवली में ही बिजनेस था. लेकिन इन बिजनेस में असफलता मिलने के बाद उन्होंने फिर मध्य प्रदेश में ही व्यापार शुरू किया. इनकी मां एक गृहणी थी. हर्षद मेहता के तीन भाई के अलावा घर में उनकी पत्नी और एक बेटा है.

शिक्षा – Harshad Mehta Biography in Hindi

हर्षद मेहता की शुरुआती शिक्षा छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित होली क्रॉस बेरोन बाजार सेकेंडरी हाई स्कूल से पूरी हुई. इसके बाद मुंबई के लाला लाजपत राय कॉलेज से इन्होंने बी.कॉम की डिग्री हासिल की. हर्षद मेहता शुरू से ही पढ़ाई में अच्छे थे.

करियर – Harshad Mehta Biography in Hindi

अपनी बी.कॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद हर्षद मेहता ने एक बीमा कंपनी ज्वाइन किया. उस कंपनी में वे सेल्स की नौकरी किया करते थे. कुछ दिनों तक यहां नौकरी करने के बाद उन्होंने एक ब्रोकरेज फर्म में नौकरी शुरू कर दी. यहां नौकरी हुए हर्षद मेहता ने शेयर बाजार के बारे में बारीकी से सारी जानकारियां हासिल की. शेयर बाजार के सारे पैतरों को अच्छी तरह समझने के बाद उन्होंने साल 1984 में अपनी खुद की एक कंपनी बनाकर मुंबई एक्सचेंज की सदस्यता हासिल की.

महज कुछ ही समय में हर्षद मेहता अखबारों और न्यूज चैनलों की सुखिर्यों पर छा गए. बड़े से बड़े उद्योगपति भी उनके साथ मीटिंग करने और काम करने के लिए बेताब रहते थे. शेयर बाजार में इनका सम्मान काफी बढ़ गया था. हर कोई यह देख कर आश्चर्यचकित था कि इन्होंने इतने कम समय में इतनी बड़ी तरक्की कैसे हासिल की.

हर्षद मेहता की रोचक बातें – Harshad Mehta Biography in Hindi

– हर्षद मेहता को शेयर बाजार का बेताज बादशाह और द बिग बुल के नाम से भी जाना जाता था.
– शेयर बाजार से बहुत कम समय में ही उन्होंने बहुत अधिक पैसा कमाया.
– ये एक मध्यवर्गीय परिवार से थे और इनके पिता छोटे-मोटे व्यापारी थे.
– हर्षद नकली रसीदें बनाकर बैंकों से पैसा लेते और उसे शेयर बाजार में लगाते थे.
– इस घोटाले का खुलासा होने पर इनके खिलाफ 72 आपराधिक मामले व 600 से अधिक दीवानी मामले दर्ज हुए थे.
– हालांकि उनके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं होने के कारण वे सिर्फ एक मामले में ही दोषी पाए गए.
– इनकी मौत रहस्यमयी तरीके से जेल में हुई थी.

हर्षद मेहता से संबंधित विवाद और घोटाले – Harshad Mehta Biography in Hindi

मेहता जिस तरह से इतनी तेजी से तरक्की कर रहे थे, उन्हें देख कर हर कोई हैरान था. हर इंसान उनकी कामयाबी के राज को जानना चाहता था. इस राज का पर्दाफाश साल 1992 में हुआ. उस समय एक पत्रकार सुचेता दलाल ने हर्षद मेहता के शेयर बाजार के खेल का भांडा फोड़ा था. हर्षद पर 72 आपराधिक मामलों के साथ 6000 से भी अधिक दीवानी मामले दर्ज किए गए थे. लेकिन सबूत के अभाव में उन्हें सभी मामलों में जमानत मिल चुकी थी. वे सिर्फ एक ही मामले में दोषी पाए गए. इस मामले में साल 2001 में उन्हें 5 साल की सजा के साथ 25,000 रुपए का जुर्माना हुआ था. वर्ष 1992 में आरबीआई की जनाकिरामन समिति की रिपोर्ट के मुताबिक हर्षद मेहता ने 4025 करोड़ का घोटाला किया था.

हर्षद मेहता मूवीस और वेब सीरीज – Harshad Mehta Biography in Hindi

हर्षद मेहता घोटाला सामने आने के बाद उनके जीवन के ऊपर कई फिल्में रिलीज होने के साथ-साथ कई वेब सीरीज भी बनी. साल 2020 में हर्षद मेहता की जिंदगी पर बनी एक वेब सीरीज सोनी लिव पर भी दिखाई गई थी जिसका नाम 1992 स्कैम – द हर्षद मेहता था.

मृत्यु – Harshad Mehta Biography in Hindi

शातिर और तेज बुद्धि वाले स्टॉकब्रोकर हर्षद मेहता की मृत्यु बहुत ही रहस्यमयी तरीके से हुई. उनकी मृत्यु उस वक्त हुई जब वे एक केस में दोषी पाए गए और उन्हें 5 साल के लिए जेल की सजा हुई. हर्षद मेहता को थाणे जेल में रखा गया था. 31 दिसंबर 2001 को अचानक देर रात उनके सीने में दर्द हुआ तो इलाज के लिए उन्हें थाणे सिविल अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां उनकी मौत हो गई.

मृत्यु के वक्त उनकी उम्र सिर्फ 47 वर्ष थी. हर्षद मेहता निश्चित तौर पर तेज दिमाग के थे लेकिन उन्होंने अपनी तेज बुद्धि का इस्तेमाल गलत तरीके से पैसा कमाने के लिए किया. अगर वे अपनी बुद्धि का प्रयोग इमानदारी से पैसा कमाने के लिए करते तो आज उनका नाम सम्मानजनक तरीके से लिया जाता.