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मदर टेरेसा का जीवन परिचय – Mother Teresa Biography in Hindi

महान व्यक्तित्व वाली महिला मदर टेरेसा का संपूर्ण जीवन गरीबों और निर्धनों की सेवा कार्य में बीता. अपने उदार कार्य के लिए मदर टेरेसा पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध रहीं. मदर टेरेसा (Mother Teresa Biography in Hindi) ने न जाने कितने सारे लोगों को उनके जीवन में असंभव कार्यों को करने के लिए प्रेरित किया.

उन्हें हमेशा नीले बार्डर वाली सफेद साड़ी पहनना पसंद था. मदर अपने आप को ईश्वर की समर्पित सेवक मानती थी और उनके चेहरे पर हमेशा एक उदार मुस्कान देखने को मिलती. इनका स्नेह हर उस इंसान के लिए था जो गरीब, बीमार, लाचार और जीवन में अकेला था. इनके जीवन से हर किसी को निःस्वार्थ एक दूसरे को मदद करने की प्रेरणा मिलती है.

वैसे तो यह महान हस्ती भारत की नहीं थीं लेकिन पहली बार भारत आते ही वो यहां के लोगों से स्नेह कर बैठी. जिसके बाद उन्होंने भारत में ही अपना संपूर्ण जीवन बिताने का निर्णय किया. मदर टेरेसा ने ही मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी और महान कार्यों के लिए उन्हें साल 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था.

प्रारंभिक जीवन – Mother Teresa Biography in Hindi

मदर का जन्म 26 अगस्त 1910 को ‘यूगोस्लाविया’ में हुआ था और उनका पूरा नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजियू’ था. माता का नाम द्राना बोयाजू और पिता का नाम निकोला बोयाजू था. मदर टेरेसा के पिता पेशे से व्यवसायी थे लेकिन बचपन में ही पिता के निधन के बाद इनकी मां ने ही इनका पालन पोषण किया था.

पिता के निधन के बाद इनके परिवार को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा था. आर्थिक परेशानियों के बावजूद इनकी मां से इन्हें मिल बांट कर खाने की शिक्षा मिली थी. मां द्वारा मिला यह ज्ञान मदर टेरेसा के मन में घर कर गई और यही वजह है कि आगे चलकर उन्होंने जरूरतमंदों की सेवा को ही अपना लक्ष्य बनाया.

मदर पांच भाई-बहन थी और यह सबसे छोटी थीं. वह बहुत ही अध्ययनशील एवं परिश्रमी लड़की थीं. उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ गीत गाना बहुत पसंद था. उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद ग्रेजुएशन भी किया. ग्रेजुएशन के बाद ही उन्होंने ईसाई मिशनरीज के लिए काम करने का निर्णय लिया.

ऐसे खुद को बदला टेरेसा ने – Mother Teresa Biography in Hindi

सिर्फ 12 साल की उम्र में ही उन्हें एहसास हो गया था कि वह अपना संपूर्ण जीवन मानव सेवा में लगाएंगी. फिर 18 वर्ष की उम्र में वह ‘सिस्टर ऑफ लोरेटो’ में शामिल हो गईं. साल 1928 में नन बनने के बाद उनका नया जन्म हो गया और उन्हें नाम मिला सिस्टर मेरी टेरेसा.

लेकिन अब अंग्रेजी भाषा सीखना जरूरी हो गया था क्यूंकि ‘लोरेटो’ की सिस्टर अंग्रेजी माध्यम से ही बच्चों को पढ़ाई थी. इसलिए मदर टेरेसा ने आयरलैंड जाकर अंग्रेजी भाषा सीखी.

वह अपनी मां और बहन के साथ चर्च में गाना गाने जाया करती थी. सिर्फ 12 वर्ष की उम्र में एक बार वह अपने चर्च के साथ धार्मिक यात्रा में शामिल हुई थी. इस यात्रा ने ही इनका मन बदल दिया और क्राइस्ट को ही मदर ने अपना मुक्तिदाता स्वीकार लिया और यीशु के वचन को पूरे विश्व में फैलाने का फैसला लिया.

मदर टेरेसा कैसे पहुंची भारत – Mother Teresa Biography in Hindi

मदर टेरेसा 6 जनवरी 1929 को आयरलैंड से कोलकाता में लोरेटो कॉन्वेंट पहुंची थी. उनके साथ तीन अन्य सिस्टर भी थी. शिक्षिका के तौर पर वह बहुत ही अनुशासित थीं लेकिन विद्यार्थियों के मन में उनके प्रति अपार प्रेम था. साल 1944 में उन्होंने सेंट मैरी स्कूल की प्रधानाचार्या का पद संभाला.

नर्सिंग की ट्रेनिंग करने के बाद वह साल 1948 में वापस कोलकाता आ गईं. यहां से पहली बार वह तालतला गई और वहां उन्होंने गरीब बुजुर्गों की देखभाल करने वाली संस्था के साथ समय बिताया. मदर ने यहां मरीजों के घावों को धोने के बाद उस पर मरहम पट्टी कर दवाइयां भी लगाई.

गरीब, असहाय और बीमार लोगों की सहायता के उद्देश्य से मदर ने साल 1949 में मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापनी की. 7 अक्टूबर 1950 को रोमन कैथोलिक चर्च से इसे मान्यता मिली. इसके बाद ही इन्होंने पारंपरिक वस्त्रों को त्यागकर नीली किनारी वाली साड़ी पहनना शुरू कर दिया.

योगदान – Mother Teresa Biography in Hindi
18 साल की उम्र में दीक्षा लेकर सिस्टर टेरेसा बनने के बाद साल 1948 में बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्होंने एक विश्वविद्यालय स्थापित किया. इसके बाद मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना की. इनकी यह मिशनरी संस्था ने साल 1996 में करीब 125 देशों में 755 निराश्रित गृह खोला था. यहां करीब 5 लाख लोगों को भोजन मिलता था.
समाजसेवा – Mother Teresa Biography in Hindi

भारत में विकलांग और असहाय बच्चों एवं सड़क किनारे पड़े मरीजों की दयनीय स्थिति ने उनके मन को आघात पहुंचाया था. यह स्थिति देख कर उन्हें भारत से वापस जाने का साहस ही नहीं हो पाया और तभी मदर ने भारत में ही रहकर जनसेवा करने का फैसला लिया. और जीवनभर इसका संकल्प का पालन भी उन्होंने बखूबी किया.

भ्रूण हत्या के खिलाफ इन्होंने पूरे विश्व में अपनी नाराजगी जताई. साथ ही अवैध और अनाथ बच्चों को अपनाकर उन्हें मातृत्व सुख भी प्रदान किया. फुटपाथों पर पड़े हुए रोते-सिसकते रोगियों को उठाकर अपने सेवा केंद्र में उनका उपचार कर स्वस्थ भी किया. उनके जीवन का मूल लक्ष्य दुखी मानवता की सेवा करना ही था.

सम्मान एवं पुरस्कार – Mother Teresa Biography in Hindi

मानवता की सेवा के लिए मदर टेरेसा को पूरे विश्व से अंतर्राष्ट्रीय सम्मान और पुरस्कार मिला था। उनके नाम ये रहे:

1. पद्मश्री – 1962

2. नोबेल पुरस्कार – 1979

3. भारत रत्न – 1980

4. मेडल ऑफ फ्रीडम – 1985

5. नोबेल शांति पुरस्कार – 1979

ज्ञात हो कि मदर टेरेसा ने नोबेल पुरस्कार की 192,000 डॉलर धन-राशि को भारतीय गरीबों के लिए फंड के रूप में प्रयोग किया था.

मृत्यु – Mother Teresa Biography in Hindi

साल 1983 में मदर टेरेसा 73 साल की उम्र में रोम में पोप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने गई थीं और यहां उन्हें पहली बार हार्ट अटैक हुआ था. फिर 1989 दूसरी बार हार्ट अटैक हुआ और इसके बाद से उनका स्वास्थ्य खराब होता चला गया.

वर्ष 1997 में स्थिति तेजी से बिगड़ने के बाद मदर ने मार्च 1997 को मिशनरी ऑफ चैरिटी के हेड का पद छोड़ दिया था. इसके बाद सिस्टर मैरी निर्मला जोशी को यह पद दिया गया. इसी वर्ष 5 सितंबर को मदर टेरेसा की मृत्यु हो गई. इनकी मृत्यु के दौरान ‘मिशनरिज ऑफ चैरिटी’ में 4000 सिस्टर, 300 अन्य सहयोगी संस्थाएं भी कार्य कर रही थी.