गणपति गणेश सबसे पहले पूजे जाने वाले देवता हैं. पार्वतीपुत्र गणेश की पूजा और आराधना से जीवन धन्य हो जाता है. सच्चे मन से उनके सामने नतमस्तक होने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. यूं तो किसी भी पूजा के समय सबसे पहले गणपति गणेश की पूजा की जाती है. श्रीगणेश को ध्यान करके ही कोई भी काम सिद्ध होता है. रिद्धि-सिद्धि के दायक गणनायक गणेश भगवान की विशेष पूजा भाद्रपद मास के शुक्ल चतुर्थी को होता है, इसे गणेश चतुर्थी – Ganesh Chaturthi in Hindi भी कहते हैं.
गणेश चतुर्थी – Ganesh Chaturthi in Hindi
मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन ही क्लेश हरने वाले और मंगल करनेवाले गणेश भगवान की उत्पत्ति हुई थी. इस दिन इनकी पूजा समूचे देशभर में धूमधाम से की जाती है. महाराष्ट्र सहित पश्चिमी भारत के ज्यादातर हिस्सों में लगातार नौ दिनों तक इनकी पूजा की जाती है. भव्य प्रतिमा और पंडाल से सजाकर भक्त इनकी आराधना में डूब जाते हैं.
गणेश चतुर्थी का मुहूर्त – Ganesh Chaturthi Muhurat
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश पूजन किया जाता है. इनकी पूजा दोपहर के मुहूर्त में ही संपन्न की जाती है. बताया जाता है कि गणेशजी का जन्म दोपहर के समय ही हुआ था. इस वर्ष 2020 22 अगस्त के दिन गणपति जी की पूजा के लिए मध्य रात्रि 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट के बीच शुभ मुहूर्त में गणपति पूजन का विशेष लाभ बताया जा रहा है.
कैसे करेंगे ‘गणेश चतुर्थी’ की पूजा – Ganesh Chaturthi Puja Vidhi
सुबह जल्दी उठकर नित्य काम कर लें और तरोताजा रहें. गणेशजी की पूजा दोपहर में ही करना अच्छा होता है, इसलिए आपके पास तैयारी के लिए पर्याप्त समय होता है. स्वच्छ और शुद्ध आसन पर बैठकर सभी पूजन सामग्री को इकठ्ठा कर लें.
पूजन सामग्री – Ganesh Chaturthi Poojan Samagri में पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि सम्मिलित होते हैं. गणेश भगवान को दुर्वा अथवा दूभ अवश्य चढ़ाई जाती है. ज्ञात होगा कि गणेश भगवान को मोदक बेहद प्रिय हैं. इसलिए भोग में मोदक जरूर रखें. पूजा के समय 108 बार ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें. गणेश चतुर्थी को शिव, गौरी, नन्दी, कार्तिकेय, रिद्धि-सिद्धि आदि देव की पूजा-अर्चना करें जो कि गणेशजी के परिवार से हैं.
सुबह-शाम करें श्रीगणेश की आरती – Ganesh Chaturthi in Hindi
शास्त्रों की मानें तो श्रीगणेश की प्रतिमा पूजन 1, 2, 3, 5, 7, 10 आदि दिनों तक होती है, इसके बाद ही विसर्जन किया जाता है. गणेश चतुर्थी में प्रतिमा जब तक विसर्जित ना किया गया हो, पूजा जारी रखें. बप्पा की आरती सुबह औऱ शाम दोनों पहर अनिवार्य रूप से होनी चाहिए. पूजा के दौरान गणेशजी की कथा और गणेश चालीसा का पाठ भी करें. इस अवसर पर गणेश भगवान के 108 नाम का जाप भी करनी चाहिए.