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दान-पुण्य के पावन पर्व मकर संक्रांति पर शानदार निबंध – Essay on Makar Sankranti in Hindi

मकर संक्रांति (Makar Sankranti in Hindi) का त्योहार हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इसे भारत के विभिन्न राज्यों में अपनी-अपनी धार्मिक मान्यताओं, रीति-रिवाज व संस्कृति के आधार पर मनाया जाता है. किसान इस त्योहर को अपनी फसल पकने की खुशी में भी सुख-समृद्धि व संपन्नता के रूप में मनाते हैं. मकर संक्रांति की खास बात यह है कि इसकी तारीख तय रहती है, जो कि 14 जनवरी है.

इस त्योहार का संबंध पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति पर निर्भर करता है. यह त्योहार सूर्य के उत्तरायन होने पर मनाया जाता है और 14 जनवरी को ही सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है. इस त्योहार को कभी-कभी 13 जनवरी या 15 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन ऐसा बहुत कम ही होता है.

पारंपरिक पकवान – Makar Sankranti in Hindi

मकर संक्रांति के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न तरह के पकवान बनाने की भी परंपरा है लेकिन इस पर्व का मुख्य व्यंजन दाल और चावल से बनी खिचड़ी है. इस खिचड़ी का भगवान को भोग भी लगाया जाता है. उत्तर भारत और बिहार में खिचड़ी, घी, गुड़, तिल रेवड़ी व गजक खाने की परंपरा है. वहीं दक्षिण भारत में चावल और दूध से बनी कई मिठाइयां व पगल पारंपरिक तौर पर तैयार किये जाते हैं. जबकि राजस्थान में गुड़ के लड्डू, जलेबी, गुलगुले व मंगौड़ी बने जाते हैं.

खिचड़ी के अलावा जीवन में मिठास लाने के उद्देश्य से इस पर्व के मौके पर तिल और गुड़ के लड्डू बनाए जाते हैं. पर्व वाले दिन सुबह तिल का उबटन लगाकर स्नान किया जाता है. नहाने के बाद परिवार के सभी सदस्य सूर्य भगवान की पूजा करते हैं. जिसमें उन्हें अर्घ्य दिया जाता है व खिचड़ी चढ़ाई जाती है. इस दिन पितरों का ध्यान व तर्पण भी किया जाता है. सुहागन महिलाएं सुहाग सामग्रियों का आदान-प्रदान करती हैं. मान्यता है कि इससे उनके पति की आयु लंबी होती है.

स्नान दान का पर्व मकर संक्राति – Makar Sankranti in Hindi

मकर संक्रांति दान-पुण्य का पावन पर्व है. कहा जाता है कि इस दिन तीर्थों व पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत महत्व है. इसके अलावा तिल, गुड़, फल, खिचड़ी व राशिनुसार दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं. मकर संक्रांति के दिन से विवाह, पूजा, अनुष्ठान जैसे तमाम शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है.

इस पावन पर्व को लेकर यह भी मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने खुद उनके घर जाते हैं. शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, इस कारण इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है.

हिन्दू धर्म में मकर संक्राति का खास महत्व माना गया है. वेदों और पुराणों में भी इस त्योहार का उल्लेख है. इस दिन जप-तप, स्नान, दान का काफी महत्व है और कहा जाता है कि इस दिन गंगास्नान करने वालों को पुण्य मिलता है. इसीलिए तो इस विशेष अवसर पर प्रयागराज (इलाहाबाद) में प्रतिवर्ष गंगा, यमुना व सरस्वती के संगम स्थल पर स्नान किया जाता है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर आस्था की डुबकी लगाते हैं. इस समय यहां एक महीने तक मेला भी रहता है.

मकर संक्रांति वाले दिन गरीबों व जरूरतमंदों को दान-पुण्य करने का अपना अलग ही महत्व है. इस दिन तिल, गुड़, खिचड़ी आदि दान करना फलदायी माना जाता है.

पतंगबाजी – Makar Sankranti in Hindi

दान पुण्य के अलावा इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व है. पतंगबाजी को लेकर लोगों में भी बहुत आनंद और उत्साह देखा जाता है. पतंगबाजी के लिए तो कई सारे स्थानों पर विशेष आयोजन भी होते हैं. इसमें बच्चे व बड़े उत्साह के साथ हिस्सा लेते हैं.
मकर संक्रांति के कितने नाम? – Makar Sankranti in Hindi
भारत में कई सारे ऐसे त्योहार हैं जिन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. भले ही किसी त्योहार को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता हो लेकिन इसे मनाने का मकसद एक ही होता है. जैसे केरल, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में इसे संक्रांति, तमिलनाडु में पोंगल, असम में बिहू, गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण नाम से जाना जाता है. वहीं पंजाब व हरियाणा में इसे लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस समय यहां नई फसल का स्वागत होता है.
धार्मिक व पौराणिक मान्यताएं – Makar Sankranti in Hindi

मकर संक्रांति के इस पावन पर्व के साथ कई तरह की धार्मिक व पौराणिक कथाएं जुड़ी ही हैं. जिसमें एक प्रचलित मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ही गंगा मैया धरती पर अवतरित हुई थीं. एक अन्य मान्यता है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह ने भी मकर संक्रांति के दिन ही अपना शरीर त्यागा था.

मकर संक्रांति न सिर्फ भारत में बल्कि बांग्लादेश, नेपाल, भूटान व श्रीलंका आदि देशों में भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. एक तरफ यह त्योहार हम सभी को आपस में जोड़ने का काम करता है, दूसरी तरफ ये हमें दान-पुण्य के महत्व को भी बताता है. इसे सुख-समृद्धि व संपन्नता का प्रतीक माना जात है. इसलिए हम सभी को इस त्योहार के महत्व को समझने की जरूरत है.