नवरात्रि में श्री दुर्गा सप्तशती – Durga Saptashati Mantra के पाठ से मनोकामना पूर्ति होती है. मार्कण्डेय पुराण में वर्णित ये श्लोक के पाठ से देवी प्रसन्न होती हैं. आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी तक भगवती की आराधना करते हुए इन मन्त्रों का जाप करना चाहिए। यहां हम उन 6 मन्त्रों का उल्लेख कर रहे हैं जो धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष चारों पुरुषार्थों को प्रदान करने में सक्षम है.
बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिए मंत्र:
सर्वाबाधा वि निर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
सर्वकल्याणकारी मंत्र – Durga Saptashati Mantra
सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके ।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥
आरोग्य एवं सौभाग्य हेतु मंत्र:
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥
विपत्ति नाश के लिए मंत्र – Durga Saptashati Mantra
शरणागतर्दनार्त परित्राण पारायणे।
सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥
सौभाग्य, संपदा एवं शत्रु भय मुक्ति के लिए मंत्र:
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥
विघ्नहरण मंत्र – Durga Saptashati Mantra
सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यसयाखिलेशवरी।
एवमेय त्याया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्॥
कैसे करें मंत्र का जाप – Durga Saptashati Mantra
नवरात्रि के अवसर पर इन मंत्रों का जाप बेहद फलदायी होता है. प्रतिपदा के दिन घटस्थापना के बाद संकल्प लेकर जाप की शुरुआत कर सकते हैं. प्रातः स्नान करके दुर्गा माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर के सामने पंचोपचार या दक्षोपचार या षोड्षोपचार से गंध, पुष्प, धूप दीपक नैवेद्य निवेदित कर पूजा करें. ध्यान रहे कि आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहना चाहिए.